पहाड़ों पर हुई बर्फबारी के कारण उत्तर भारत में शीतलहर का प्रकोप। इसके खतरों के बारे में जानें और स्वास्थ्य सुरक्षा के उपाय.
पहाड़ों पर हुई बर्फबारी की वजह से दिल्ली NCR समेत उत्तर भारत के कई राज्य शीतलहर की चपेट में हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक, आने वाले हफ्ते में भी इसमें कोई राहत नहीं मिलने वाली है। ऐसे में इससे बचने के लिए बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। जरा सी लापरवाही गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है। कुछ मामलों में शीतलहर जानलेवा भी हो सकती है।किन लोगों के लिए शीतलहर ज्यादा खतरनाक है?एक्सपर्ट: डॉ.
सत्येंद्र कुमार सोनकर, इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, जब मैदानी इलाकों में न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस या इससे कम होता है तो उसे शीतलहर कहते हैं। इसके अलावा अगर तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से कम हो और अचानक उसमें -4.5 से -6.4 डिग्री की गिरावट दर्ज की जाए तो इसे भी शीतलहर माना जाता है। आमतौर पर दिसंबर और जनवरी के महीने में शीतलहर का प्रकोप देखने को मिलता है।आमतौर पर दिल्ली NCR समेत पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड में शीतलहर का प्रकोप देखने को मिलता है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में भी शीतलहर का असर दिखाई देता है।डॉ. सत्येंद्र कुमार सोनकर बताते हैं कि शीतलहर हमारे स्वास्थ्य को कई तरह से प्रभावित करती है। ये हमारे हार्ट के साथ-साथ न्यूरोलॉजिकल हेल्थ पर भी प्रभाव डालती है। नीचे दिए ग्राफिक से समझिए कि शीतलहर हमारी सेहत को कैसे प्रभावित करती है।ठंड में हार्ट को पूरे शरीर में ऑक्सीजन पंप करने के लिए दोगुनी मेहनत करनी पड़ती है क्योंकि ठंड के कारण धमनियां (Arteries) सिकुड़ जाती हैं। इससे ब्लड फ्लो धीमा हो जाता है और हार्ट की मसल्स को कम ऑक्सीजन मिल पाती है। इसलिए स्ट्रोक या हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।आमतौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर का तापमान 9
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