विदेशी फंड की निकासी और कमजोर वैश्विक रुझानों के कारण भारतीय शेयर बाजार बुधवार को गिरावट दर्ज किया। सेंसेक्स और निफ्टी में भारी नुकसान हुआ।
पीटीआई, नई दिल्ली। विदेशी फंड की निरंतर निकासी और कमजोर वैश्विक बाजार रुझानों के बीच बुधवार को शुरुआती कारोबार में इक्विटी बेंचमार्क सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट दर्ज की गई। निवेशक भी वित्त ीय नतीजों आने से पहले सतर्क हो गए हैं। टीसीएस आज अपने तिमाही नतीजों की घोषणा करने वाली है। 30 शेयरों वाला बीएसई बेंचमार्क सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 236.42 अंक गिरकर 77,962.69 पर आ गया। एनएसई निफ्टी 62.45 अंक गिरकर 23,645.
45 पर आ गया। दोपहर तक दोनों सूचकांक करीब 1-1 फीसदी की गिरावट के साथ ट्रेड कर रहे थे। 30 शेयरों वाले ब्लू-चिप पैक में, जोमैटो, अदाणी पोर्ट्स, टाइटन, टाटा मोटर्स, टेक महिंद्रा, एचडीएफसी बैंक, इंडसइंड बैंक और हिंदुस्तान यूनिलीवर में गिरावट दिखी। रिलायंस इंडस्ट्रीज, एक्सिस बैंक, मारुति और आईसीआईसीआई बैंक लाभ में रहे। एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मंगलवार को 1,491.46 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। एशियाई बाजारों में, सियोल में सकारात्मक कारोबार हुआ, जबकि टोक्यो, शंघाई और हांगकांग में गिरावट दर्ज की गई। मंगलवार को अमेरिकी बाजार गिरावट के साथ बंद हुए थे। वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 0.38 प्रतिशत बढ़कर 77.34 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। मंगलवार को बीएसई बेंचमार्क 234.12 अंक या 0.30 प्रतिशत चढ़कर 78,199.11 पर बंद हुआ। निफ्टी 91.85 अंक या 0.39 प्रतिशत बढ़कर 23,707.90 पर पहुंच गया। डॉलर के मुकाबले रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 9 पैसे टूटकर 85.83 के अपने रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। अमेरिकी मुद्रा में मजबूती और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों ने खेल बिगाड़ना जारी रखा, जबकि सरकार ने देश की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को कम कर दिया। विश्लेषकों के अनुसार, कमजोर घरेलू शेयर बाजारों ने भी भारतीय मुद्रा पर दबाव डाला, जबकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में बेहतर विकास की संभावना ने फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में देरी की उम्मीदों को बढ़ावा दिया, जिससे अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड के साथ-साथ डॉलर की मांग में रिकॉर्ड वृद्धि हुई। मंगलवार को जारी नवीनतम सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन के कारण भारत की आर्थिक विकास दर 2024-25 में चार साल के निचले स्तर 6 प्रतिशत हो जाएगी
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