उत्तर भारत के प्राचीन श्रीलोधेश्वर महादेव मंदिर के कॉरिडोर निर्माण में 30 जमीनें विवादित हैं। इन जमीनों को लेकर सिविल न्यायालयों में मुकदमे चल रहे हैं, जिसके कारण सरकार ने अधिग्रहण का प्रस्ताव रखा है।
उत्तर भारत के प्राचीन श्रीलोधेश्वर महादेव मंदिर के कॉरिडोर के लिए जमीन की खरीद में 30 विवाद ित संपत्तियां खलल बन गई हैं। इन संपत्तियों को लेकर सिविल न्यायालयों में कई पक्षकारों के बीच मुकदमे चल रहे हैं। इससे इनकी खरीद में तकनीकी दिक्कतें हैं। ऐसे में इन संपत्तियों को अब अधिग्रहण करके सरकार पर्यटन विभाग को सौंपेगी। साथ ही इनकी कीमत सरकारी खजाने में जमा करवा दी जाएगी। जैसे-जैसे विवाद खत्म होते जाएंगे, चिह्नित मालिकाना हक वाले व्यक्ति को उसकी कीमत का भुगतान कर दिया जाएगा। डीएम सत्येंद्र कुमार ने
सिविल न्यायालयों में स्वामित्व के चल रहे मुकदमों का ब्योरा देते हुए सरकार से इन संपत्तियों को सहमति के आधार पर खरीदने के बजाए अधिग्रहण का प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। प्रभारी अधिकारी और अतिरिक्त मजिस्ट्रेट अनुराग सिंह ने बताया कि महादेवा कॉरिडोर के दायरे में आने वाली 30 संपत्तियों का अधिग्रहण किया जाएगा। 136 संपत्तियों की खरीद के लिए मिले थे 48 करोड़। सीएम योगी ने छह महीने पहले वाराणसी के विश्वनाथ धाम की तर्ज पर श्रीलोधेश्वर धाम के कॉरिडोर को मंजूरी दी थी। मंदिर तक जाने वाले मार्ग को फोरलेन के लिए अलग से बजट भी जारी कर दिया था। साथ ही कॉरिडोर के दायरे में आ रहीं 136 संपत्तियों को आम सहमति से खरीद के लिए 48 करोड़ रुपये जारी किए थे। प्रशासन की ओर से तेजी से जमीनों के बैनामे करवाने का कार्य किया जा रहा था। अविवादित 106 संपत्तियों की जमीनों का प्रशासन ने बैनामा करवा लिया और फिर पता चला कि 30 संपत्तियों के स्वामित्व के विवाद सिविल न्यायालय में लंबित हैं। ऐसे में इनको कॉरिडोर निर्माण के लिए अधिग्रहण करके ही लिया जा सकता है। ऐसे में अधिग्रहण का रास्ता तलाशा गया है। बैनामा हुआ पर नहीं हो सका भुगतान
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