संभल में जामा मस्जिद विवाद: मंदिर हुआ दावा, पथराव और आगजनी

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संभल में जामा मस्जिद विवाद: मंदिर हुआ दावा, पथराव और आगजनी
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उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के स्थान पर मंदिर होने का विवाद बढ़ गया है। मंदिर के समर्थकों का दावा है कि यह एक प्राचीन मंदिर है और उन्हें यह वापस मिलना चाहिए। दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष इस दावे को बेबुनियाद बताते हैं और मंदिर होने का कोई पुराना प्रमाण नहीं होने का दावा करते हैं। विवाद 19 अक्टूबर को संभल के सिविल कोर्ट में मंदिर होने की याचिका दायर करने के बाद और तेज हो गया। 24 नवंबर को मस्जिद में सर्वे करने पहुंचने वाली टीम पर पथराव हुआ जिसके बाद संभल में जगह-जगह पथराव और आगजनी की घटनाएं हुईं। इस हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई है।

हिंदू बोले- गजेटियर में मंदिर का रिकॉर्ड, मुस्लिम बोले- साबित करें कब-किसने बनवाया’पूरे इलाके के लोग जानते हैं कि ये हमारा मंदिर है। ये लोगों की आस्था का केंद्र है। बाबर ने अयोध्या का राम मंदिर और संभल का हरिहर मंदिर तोड़कर उस पर मस्जिद बनवाई थी।’उत्तर प्रदेश के संभल में केला देवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी जामा मस्जिद को लेकर बस ये दावा ही नहीं करते, वो पूरे भरोसे के साथ कहते हैं कि ये हमारा मंदिर है और हमारा ही...

इनके अलावा याचिकाकर्ताओं में वकील पार्थ यादव, केला मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी, महंत दीनानाथ, सामाजिक कार्यकर्ता वेदपाल सिंह, मदनपाल, राकेश कुमार और जीतपाल यादव का नाम शामिल है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ये जगह पहले श्रीहरिहर मंदिर हुआ करती थी, जिसे बाबर ने 1529 में तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया। महंत आगे कहते हैं, 'पूरे इलाके के लोग जानते हैं कि ये हमारा मंदिर है। ये लोगों की आस्था का केंद्र है। अयोध्या में जब तक राम मंदिर नहीं बना, तब तक लोगों ने पगड़ी नहीं पहनी थी। यहां सब शांतिपूर्ण तरीके से कानूनी प्रक्रिया से किया जाएगा।'

मस्जिद में कोई चीज या उसकी बनावट जो इसके मंदिर होने के दावे को पुख्ता करती हो? इसके जवाब में श्रीगोपाल कहते हैं, ‘मस्जिद के अंदर कोई ऐसी नक्काशी नहीं है, जिससे इसके मंदिर होने के प्रमाण मिल सकें। न ही कोई मूर्तियां ही मिली हैं। हां, लेकिन कुछ और अवशेष हैं, जिनका जिक्र यहां नहीं किया जा सकता।' वे आगे कहते हैं, 'आजादी के बाद से इस तरह का कोई दावा कभी अदालत में पेश नहीं किया गया। आजादी से पहले 1877 और 1879 में जरूर कुछ वाद दायर किए गए थे। वो खारिज हुए और फैसला जामा मस्जिद के हक में रहा था। हमारे पास जजमेंट की कॉपी भी है।'संभल की जामा मस्जिद के संरक्षण का जिम्मा ASI के पास है। फिर इंतजामिया कमेटी का क्या रोल है? इसके जवाब में जफर अली कहते हैं, 'जामा मस्जिद की ये प्रॉपर्टी ASI के तहत आती है। ये 250 सीरियल नंबर पर दर्ज है। ये बहुत बाद की बात है। जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी तो...

'टीम ने पुलिस की मदद ली। उन्होंने ही हमें इन्फॉर्म किया। हम उनके साथ सर्वे कराने अंदर गए, लेकिन हमें किसी तरह की कभी कोई रिपोर्ट नहीं दी।' वे आगे बताते हैं, 'इससे पहले कोर्ट के आदेश से कोई सर्वे नहीं हुआ है। अगर किसी जगह का मैनेजमेंट ASI के अंडर है, तो उसके संरक्षण का जिम्मा भी ASI का ही होता है। ASI ने ही डीएम को लेटर लिखा था कि उन्हें सर्वे नहीं करने दिया जा रहा।'मंदिर और मस्जिद के दावों के बीच हमने लोकल लोगों से भी बात करने की कोशिश की। हालांकि कैमरे पर आने से हिचकिचाते हुए एक शख्स ने हमें पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया, 'उस दिन प्रशासन पर बहुत प्रेशर था। हिन्दू पक्ष के वकील और महंत ऋषिराज गिरी उसी दिन सर्वे के...

उस दौर में भी हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच इसे लेकर कानूनी लड़ाई चल रही थी। सिविल कोर्ट में फैसला मुस्लिम पक्ष के हक में सुनाया गया। कोर्ट का मानना था कि मस्जिद में लिखा है कि बाबर ने 1526 में मस्जिद बनाने का आदेश दिया था।

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