संभल में शिव मंदिर और कुएं की कार्बन डेटिंग से पता चलेगी सदी

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संभल में शिव मंदिर और कुएं की कार्बन डेटिंग से पता चलेगी सदी
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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम संभल के खग्गूसराय में मिले शिव मंदिर और कुएं की कार्बन डेटिंग के लिए नमूने लेने पहुंची है. इससे पता चलेगा कि मंदिर और कुआं किस सदी का है.

संभल के खग्गूसराय में मिले शिव मंदिर और कुएं की कार्बन डेटिंग के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ( ASI ) की टीम नमूने लेने पहुंची हुई है. इसकी कार्बन डेटिंग की जाएगी ताकि पता लग सके कि मंदिर और कुआं कौन सी सदी का है. इससे पहले ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की बात हुई थी, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी. कार्बन डेटिंग का नाम अक्सर किसी पुरातात्विक खोज में आता रहता है. दुनिया में पहली बार कार्बन डेटिंग का उपयोग ब्रिटेन के स्टोनहेंज में हुआ था.

इसमें यह पता चला कि ये स्मारक तीन से दो हजार ईसा पूर्व अलग-अलग चरणों में हुआ. रेडियो कार्बन डेटिंग के दौरान उन सारी चीजों की जांच हुई जो वहां मिले थे. इससे उसके बनने के समय के अंदाजा हुआ. इसके बाद से कार्बन डेटिंग होने लगी. भारतीय पुरातत्व विभाग ने भी इसपर काफी काम किया और हजारों साल पुरानी हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की सभ्यता को भी खोज निकाला. लेकिन कार्बन डेटिंग पर तब खूब चर्चा हुई, जब राम मंदिर विवाद में इसका काम सामने आया. पुरातत्व विभाग के सर्वे में पता लगा कि वहां मस्जिद से पहले मंदिर का स्ट्रक्चर था. साथ ही लगभग तीन हजार साल पुराना इतिहास भी बता दिया गया. सर्वोच्च न्यायालय ने रामजन्म भूमि पर फैसला सुनाते हुए पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट का भी जिक्र किया था. फिर ज्ञानवापी में भी इस प्रोसेस को अपनाने की बात हुई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसपर रोक लगा दी. अब संभल मामले में एक बार फिर कार्बन डेटिंग की एंट्री हो चुकी. क्या है कार्बन डेटिंग, कैसे करती है कामकोई कल्चर या उससे जुड़ी चीज कितनी पुरानी है, इसका पता लगाने के लिए खुदाई में मिली चीजों की जांच की जाती है. आसान भाषा में कहें तो इसे वक्त की टाइम मशीन कह सकते हैं. ये कार्बन बेस्ट इमारतों, लकड़ी, हड्डियों से लेकर उन सभी चीजों की उम्र का अनुमान लगाती है, जिसमें कार्बन हो. यह तरीका इस तथ्य पर आधारित है कि सभी जीवों और जीवों के अंश से बनी चीजों में कार्बन होता है. इसी कार्बन के आधार पर उस चीज की उम्र निकाली जाती है. हम सबमें कार्बन होता है. ये दो तरह का है, कार्बन 12 और कार्बन 14. जब तक कोई जिंदा है, उसके शरीर में दोनों ही तरह के कार्बन का बैलेंस रहता है लेकिन मौत के बाद तस्वीर बदलती ह

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