हिंदू धार्मिक स्थल संभल से काशी तक, मुस्लिम आबादी वाले इलाकों में अवस्थित मंदिरों का पता चल रहा है। ये मंदिर अतिक्रमण और कूड़े से ढके हुए हैं, और उनके इतिहास का पता चलने के साथ, कुकृत्यों के बारे में सवाल उठ रहे हैं।
नई दिल्लीः हिंदू पौराणिक मान्यताओं का एक विशिष्ट नगर संभल है। यहां से जुड़ी भविष्यवाणियों के नाते यह भारत भूमि के तीर्थाे मे बेहद खास है। किंतु इन दिनों ये शहर कुछ अन्य कारणों से सुर्खियों मे है। यह चर्चा हिंदू समुदाय के साथ होने वाले दंगे अथवा पलायन को लेकर कतई नही है। संभल से काशी तक हर मुस्लिम मुहल्ले में मिल रहे मंदिर दरअसल स्वतंत्रता उपरांत कश्मीर घाटी के बाहर सर्वाधिक हिंदू उत्पीड़न की घटना वाली जगहों में से एक संभल है। फिलहाल खबरों मे यहां के अतिवादी मुसलमानों का मनमानापन भी नही है। यहां
अतिक्रमण मुक्ति अभियान के दौरान प्रशासन को एक जीर्ण शीर्ण मंदिर मिला है। तब से एक सिलसिला सा चल पड़ा है। संभल से काशी तक हर मुस्लिम मुहल्ले में ऐसे मंदिर मिल रहे है। केवल कानपुर नगर के अंदर ही ऐसे 125 भग्न देवस्थान मिले है। किंतु सभी मंदिरों की दारुण गाथा एक सी है।हर देवालय का एक इतिहास, अतीत गाथा के प्रमाणदेव विग्रह अस्त व्यस्त अथवा टूटे पड़े है अन्यथा देवताओं की मूर्तियां गायब है। हर देवालय अतिक्रमण और कूड़े के अंबार के बीच है। यही नहीं यहां जाने के मार्ग भी जान बूझ कर बंद कर दिया गया है। जबकि इनमें से हर देवालय का अपना एक इतिहास है। ये आस्था के संग अतीत गाथा के प्रमाण है। इनमें से कई मंदिर पांच सौ वर्ष पुराने तो कुछ पुराणों में वर्णित देवस्थल है। ऐसे में इन मंदिरों के साथ किये गए कुकृत्य के लिये सवाल तो बनता है। पुरातत्व विभाग वास्तविक स्वरूप के आकलन में लगाबात सवालों की करें तो इस घटना उपरांत देश भर से विरोध के स्वर उठे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा के पटल पर इसकी चर्चा की है। उन्होंने कहा कि इन मंदिरों ने वास्तविकता को सामने ला दिया है। वहीं हिंदू जनमानस इसके उपरांत स्वतः स्फूर्त संगठित और आंदोलित हो चला है। प्रशासन के सहयोग से मंदिरों के मिलने का सिलसिला जारी है। पुरातत्व विभाग इनके वास्तविक स्वरूप के आकलन के निर्धारण में लगा है। मंदिरों के साथ कई कूप और तीर्थ स्थल मिलेमंदिरों के साथ ही अन्य पुराने निर्माण भी प्राप्त हो रहे है। ऐसे कई कूप भवन और अन्यन्य हिंदू धार्मिक चिह्न सामने आये हैं। अकेले संभल मे ही अबतक कई कूप और तीर्थ स्थान मिले है। एक प्राचीन बावड़ी साथ से लगता एक भूमिगत सुरंग भी खुदाई के दौरान प्राप्त हुआ है। यहां इससे जुड़े कई कक्ष भी मि
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