उत्तर प्रदेश के संभल में 1978 में हुए सांप्रदायिक दंगों की जांच को लेकर गृह विभाग ने रिपोर्ट मांगी है। हालांकि, संभल पुलिस ने दंगों की दोबारा जांच शुरू होने से इनकार किया है।
उत्तर प्रदेश के संभल में 46 साल पहले भड़की सांप्रदायिक हिंसा पर रिपोर्ट मंगाई गई है। संभल का पुलिस प्रशासन शहर में 1978 में हुए दंगों की जांच कर एक हफ्ते में अपनी रिपोर्ट सरकार को देगा। इस मामले में गृह विभाग के उप सचिव और एसपी मानवाधिकार आयोग ने संभल के डीएम और एसपी को पत्र लिखा है। इसके बाद 46 साल पहले हुए संभल दंगों को लेकर चर्चाओं का बाजार फिर गर्म हो गया है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी पिछले दिनों विधानसभा में 1978 के दंगे का जिक्र किया था। हालांकि, संभल पुलिस ने दंगों की दोबारा जांच शुरू
होने से इनकार किया है। संभल पुलिस का कहना है कि केवल सरकार की ओर से मांगी गई जानकारी जुटाई जा रही है। नए सिरे से कोई जांच नहीं हो रही है। मामला एमएलसी श्रीचंद्र शर्मा के पत्र से जुड़ा है। 17 दिसंबर 2024 को एमएलसी श्रीचंद्र शर्मा ने विधानपरिषद में यह मामला उठाया था। उन्होंने नियमों के तहत विधानपरिषद में पत्र देकर संभल में हुए उक्त दंगे की जांच करवाने का अनुरोध सीएम से किया था। इसे लेकर अब गृह विभाग ने संभल के डीएम और एसपी से दंगे की आख्या तलब की है।वायरल हुआ था एसपी का पत्रयह मामला उस समय और सुर्खियों में आ गया, जब संभल के एसपी केके बिश्नोई का एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। संभल के डीएम राजेंद्र पेंसिया को लिखे गए इस पत्र में एसपी ने एमएलसी शर्मा के पत्र का उल्लेख किया है। इसमें कहा है कि मामले की जांच के लिए उनके स्तर पर संभल के अपर पुलिस अधीक्षक उत्तरी को नामित किया गया है। उन्होंने डीएम से मामले की संयुक्त जांच के लिए किसी प्रशासनिक अधिकारी को नामित करने का अनुरोध किया है।हालांकि, एसपी बिश्नोई ने दंगों की दोबारा जांच से इनकार किया है। उन्होंने कहा, ‘सोशल मीडिया और अन्य मंचों पर यह भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है कि संभल में 1978 में हुए सांप्रदायिक दंगों की फिर से जांच शुरू की जा रही है। ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है।’क्या था मामला?पिछले दिनों सीएम योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में 1978 के संभल दंगे के संबंध में बयान दिया था। कहा था कि इस दंगे में 184 लोग मारे गए थे और कई परिवारों को पलायन करना पड़ा था। पुलिस और प्रशासन अब दंगे में हुई मौतों का असली आंकड़ा पता लगाएगा। आपको बता दें कि 29 मार्च, 1978 में जामा मस्जिद के मौलवी की हत्या के बाद संभल में भड़का दंगा कई दिनों तक चला था। संभल में हालात इस कदर गंभीर हो गए थे कि वहां कई दिनों कर्फ्यू तक लगाना पड़ा था। इस दंगे को लेकर उस समय 169 एफआईआर दर्ज हुई थीं। इस मामले में अब तक किसी को सजा नहीं मिली है
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