संयुक्त संसदीय समिति (JPC): देश एक चुनाव पर सरकार का बड़ा कदम

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संयुक्त संसदीय समिति (JPC): देश एक चुनाव पर सरकार का बड़ा कदम
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भारत सरकार ने 'एक देश, एक चुनाव' को लागू करने के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का गठन किया है। यह लेख JPC के कार्य, सदस्यता, अधिकार और कार्य प्रणाली के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है।

नई दिल्‍ली. एक देश, एक चुनाव पर सरकार ने एक साथ दो बड़े कदम उठाए हैं. फर्स्‍ट स्‍टेप के तहत लोकसभा में इसको लेकर विधेयक पेश किय गया. इसके साथ ही सरकार ने इस बिल पर व्‍यापक विचार-विमर्श के लिए संयुक्‍त संसदीय कमेटी बनाने का भी ऐलान किया है. ऐसे में अब सवाल उठता है कि JPC का गठन क्‍यों किया जाता है? JPC कैसे काम करता है और इसमें कितने सदस्‍य होते हैं? आमतौर पर वैसे मसलों और विधेयक ों पर JPC का गठन किया जाता है, जिसका दूरगामी असर होता है.

JPC में राज्‍यसभा के सदस्‍यों की तुलना में लोकसभा मेंबर्स की संख्‍या दोगुनी होती है. मसलन यदि किसी जेपीसी में राज्‍यसभ के 5 सदस्‍य हैं तो उसमें लोकसभा के सदस्‍यों की संख्‍या 10 होगी. JPC एक एड-हॉक बॉडी होती है, जिसकी मियाद या अवधि मसलों को देखते हुए तय की जाती है. JPC के पास काफी अधिकार होते हैं. जेपीसी जानकारी या सबूत के लिए संबंधित मामलों में मौखिक या लिखित या फिर डॉक्‍यूमेंट की मांग कर सकती है. JPC किसी भी व्‍यक्ति, संस्‍था या पक्ष को बुलाकर पूछताछ कर सकती है.

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