क्या वाकई लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जय संविधान बोलने से रोका या आपत्ति की? या फिर विपक्ष की असली नाराजागी बुधवार को लोकसभा में इमरजेंसी पर लाए गए निंदा प्रस्ताव पर है, जहां आपातकाल के 50 साल पर तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार के इमरजेंसी के दौरान लिए गए फैसलों पर लोकसभा अध्यक्ष ने भाषण दिया, जिसके खिलाफ मुद्दा गुरुवार को स्पीकर से मुलाकात के दौरान...
18वीं लोकसभा का पहल सत्र चल रहा है. इस दौरान संविधान, आपातकाल के 50 साल और सेंगोल को प्रतीक बनाकर घेराबंदी की सियासत छिड़ गई है. संविधान, इमरजेंसी और सेंगोल के नाम पर दलितों, पिछड़ों के वोट की गोलबंदी को अपने पाले में मजबूत करने की लड़ाई हो रही है. इतना ही नहीं, अब ये आरोप तक लग गया कि संसद में 'जय संविधान' तक बोलने पर आपत्ति की जा रही है.
शपथ लेते हुए हमने संविधान पक़ड़ा था, हमारा संदेश जा रहा है कि कोई संविधान को छू नहीं सकता.संविधान यानी बाबा साहब भीमराव आंबेडकर बाबा साहब भीमराव आंबेडकर यानी दलित और पिछड़ों की आवाज, तो क्या इसीलिए जब विपक्ष हाथ में संविधान लेकर इस बार सदन में लगातार सरकार को घेरता है तो संविधान वाले दांव का जवाब आपातकाल के 50 साल से दिया जाता है. जहां पहले प्रधानमंत्री इमरजेंसी के 50 साल याद दिलाते हैं. फिर बीजेपी 25 जून को इमरजेंसी याद कराते हुए विरोध के कार्यक्रम करती है.
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