राज्यसभा और लोकसभा में हंगामा के कारण संसद का शीतकालीन सत्र प्रभावित हुआ।
संसद का शीतकालीन सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया। संसद सत्र की शुरुआत ही हंगामे के साथ हुई थी। पहले अदाणी मामला, फिर जाॅर्ज सोरोस और इसके बाद आंबेडकर मुद्दे पर हंगामा हुआ। इसका असर संसद के कामकाज पर पड़ा। इस सत्र में राज्यसभा में केवल 40.03 फीसदी ही काम हुआ। जबकि लोकसभा का हाल भी कुछ ऐसा ही रहा है लोकसभा में भी महज 57.
87 फीसदी काम हुआ। राज्यसभा में शुक्रवार को एक देश एक चुनाव विधेयक के लिए बन रही जेपीसी में राज्यसभा के 12 सांसदों को नामित किया गया। इसके बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। सुबह जब राज्यसभा में कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्ष ने प्रदर्शन किया। इसके बाद सदन की कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित कर दी गई। इसके बाद सभापति ने सदन के नेता जेपी नड्डा और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने बिना किसी हंगामे के सदन चलाने के लिए कहा। जब सदन की कार्यवाही 12 बजे फिर से शुरू हुई तो सभापति ने विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से एक देश एक चुनाव विधेयक को लेकर बन रही जेपीसी के लिए उच्च सदन से सदस्यों को नामित करने का प्रस्ताव रखने के लिए कहा। जेपीसी के लिए 12 सदस्यों को नामित करने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इसके बाद अपने समापन भाषण में सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि इस सत्र में 4
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संसद का शीतकालीन सत्र हंगामे में खत्महंगामे के कारण संसद का शीतकालीन सत्र प्रभावित रहा। राज्यसभा में केवल 40.03 फीसदी और लोकसभा में 57.87 फीसदी काम हो सका।
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