आयुर्वेदिक डॉ. आरसी द्विवेदी ने बताया कि सत्यानाशी के पत्ते का रस, बीज का तेल, पत्तियों का लेप तथा फूलों से निकलने वाले दूध का इस्तेमाल कई तरीकों से किया जाता है. इसका उपयोग मुख्य रूप से शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए किया जाता है, लेकिन यह मधुमेह, पीलिया, पेट दर्द, खांसी तथा यूरिन की समस्या में भी राहत प्रदान करता है.
वहीं, छतरपुर के आयुर्वेद िक डॉ. आरसी द्विवेदी ने Local18 को बताया कि आयुर्वेद में केसरा या सत्यानाशी के पत्ते का रस, बीज का तेल, पत्तियों का लेप तथा फूलों से निकलने वाले दूध का इस्तेमाल कई तरीकों से किया जाता है. वैसे तो इस पौधे का इस्तेमाल मुख्य रूप से शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए किया जाता है, लेकिन इसके विभिन्न औषधीय गुण मधुमेह, पीलिया, पेट दर्द, खांसी तथा यूरिन की समस्या में भी राहत प्रदान करते हैं.
इस पौधे में पीले रंग का द्रव्य निकलता है, जिसमें एंटी माइक्रोबियल, एंटी-डायबिटिक, एनाल्जेसिक, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटीस्पास्मोडिक और एंटीऑक्सीडेंट जैसे कई गुणकारी तत्व पाए जाते हैं. डॉ. द्विवेदी ने कहा कि सत्यानाशी में शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने का गुण होता है, इसलिए अगर आप शुक्राणुओं की कमी के कारण निःसंतान हैं तो इसका इस्तेमाल करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है. इसके लगातार सेवन से महज 21 दिनों में शारीरिक कमजोरी समाप्त हो सकती है. पीलिया जैसी खतरनाक बीमारी के लिए भी सत्यानाशी का पौधा रामबाण इलाज है. अगर किसी व्यक्ति को पीलिया हो गया है, तो उसे सत्यानाशी के तेल में गिलोय का रस मिलाकर सेवन करना चाहिए. इससे पीलिया जड़ से खत्म हो जाता है. यदि आप पेशाब करते समय जलन तथा पेशाब के रुक-रुक कर होने की समस्या से परेशान हैं तो इनमें सत्यानाशी बेहद उपयोगी साबित हो सकता है. इसमें मूत्रवर्धक गुण होते हैं जो पेशाब से जुड़ी ज्यादातर परेशानियों से राहत दिलाते हैं. इसके लिए आपको सत्यानाशी के पत्तों का काढ़ा बनाकर सेवन करना होगा. डॉ. द्विवेदी ने बताया कि इसके सेवन के दो तरीके हैं. पहला तरीका यह कि आप सत्यानाशी के पौधे की जड़, पत्तियों एवं फूलों को पीसकर उससे निकलने वाले रस का सेवन करें या फिर आप उनकी पत्तियों को सुखाकर उसका चूर्ण बना लें और फिर उसे हर दिन सुबह-शाम पानी या दूध के साथ खाएं. ध्यान रहे कि रस के रूप में आपको उसे हर दिन अधिकतम 20 मिलीलीटर ही लेना है और चूर्ण के रूप में सुबह शाम एक-एक चम्मच का सेवन करना है
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