एनीमिया जांचने वाली एआई आधारित स्वदेशी तकनीक से अब तक मरीजों का छह हजार यूनिट से ज्यादा रक्त बेकार होने से बचाया गया है। साथ ही पुराने तरीके की जांच से पैदा होने वाले करीब 16 टन चिकित्सकीय अपशिष्ट में भी कमी आई है।
नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के मुताबिक, एक लंबी खोज के बाद भारतीय वैज्ञानिक ों ने नॉन इनवेसिव हीमोग्लोबिन स्क्रीनिंग डिवाइस तैयार की है। किसी भी व्यक्ति में हीमोग्लोबिन का स्तर पता लगाने के लिए इस उपकरण का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए मरीज से रक्त नमूना लेने की जरूरत नहीं पड़ती है। आईसीएमआर के अनुसार, जब भी एनीमिया की जांच की जाती है तो व्यक्ति से सीरिंज के जरिये रक्त निकाला जाता है। करीब तीन से 10 एमएल तक रक्त लेकर प्रयोगशाला में जांच करते हैं और फिर बचा हुआ रक्त...
0 फीसदी और महिलाओं में 57.0 फीसदी है। वहीं, किशोर में यह 31.1 फीसदी और किशोरियों में 59.1 फीसदी है। इनके अलावा 15 से 49 वर्ष तक की 52.2 फीसदी गर्भवती महिलाओं में हीमोग्लोबिन का स्तर कम है, जिन्हें एनीमिया ग्रस्त माना जा सकता है। इसी तरह छह से 59 माह तक के करीब 67.
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