सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला दिया है कि सरकारी नौकरियों में एक बार भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में बदलाव अवैध होगा, और ये बदलाव सिर्फ आगामी भर्तियों पर ही लागू होंगे. यह निर्णय राजस्थान हाईकोर्ट के एक मामले से जुड़ा है, जिसमें 2013 में अनुवादक पदों की भर्ती के दौरान राज्य सरकार ने नियमों में बदलाव कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया में महत्वपूर्ण फैसला दिया है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई में पांच जजों की पीठ ने निर्णय सुनाया कि एक बार भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद, उसमें नियमों का बदलाव अवैध होगा. कोर्ट का कहना है कि नियमों में बदलाव का प्रभाव केवल आगामी भर्तियों पर ही लागू हो सकता है, वर्तमान या चल रही भर्ती में इसका कोई असर नहीं होना चाहिए. इस फैसले के पीछे मामला राजस्थान हाईकोर्ट से जुड़ा है.
निष्पक्ष होनी चाहिए भर्ती प्रक्रियासुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए, ताकि सभी उम्मीदवारों को समान अवसर मिले. संविधान पीठ, जिसमें चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस पामिदिघंटम श्री नरसिम्हा, जस्टिस पंकज मित्थल और जस्टिस मनोज कुमार मिश्र शामिल थे, ने माना कि किसी भी भर्ती प्रक्रिया में उम्मीदवारों की योग्यता या अर्हता को बीच में बदलना न्यायसंगत नहीं है.
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