सर्दी के मौसम में बकरी पालन करना सही नहीं है क्योंकि बकरियों और उनके मेमनों को शीतलहर से बचाकर रखना पड़ता है. कई बार बकरियों और मेमनों में ठिठुरन पैदा हो जाती है, जिससे निमोनिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही ठंड के दिनों में बकरियों में पीपीआर (पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स) का खतरा बढ़ जाता है. बकरी पालन शुरू करने के लिए सबसे उपयुक्त समय फरवरी का अंतिम सप्ताह होता है.
जनवरी महीने से नए साल की शुरुआत हो जाती है. खरमास के खत्म होने के बाद लोग नए-नए कारोबार शुरू करने का प्रयास करते हैं. कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पशु पालन यानी की बकरी पालन करने के बारे में सोच रहे हैं तो सर्दी के मौसम में बकरी पालन करना बिल्कुल भी सही नहीं है. सर्दी में बकरी और उनके मेमनों को शीतलहर से बचाकर रखना पड़ता है. कई बार बकरियों और मेमनों में ठिठुरन पैदा हो जाती है, जिससे निमोनिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
इसीलिए अक्टूबर से फरवरी के बीच यानि सर्दी के मौसम में बकरी पालन की शुरुआत बिल्कुल भी ना करें. नई जगह एवं नए मौसम में बकरियां आसानी से ढल नहीं पाती हैं जिससे उन्हें काफी दिक्कत होने लगती है. साथ ही ठंड के दिनों में बकरियों में पीपीआर (पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स) का खतरा बढ़ जाता है. इसे बकरियों की महामारी या बकरी प्लेग भी कहा जाता है. इस बीमारी से बकरियों में बुखार, मुंह में घाव, दस्त, निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है. एक रिपोर्ट के अनुसार बकरियों में इस बीमारी की मृत्यु दर 50 से 80 प्रतिशत तक होती है, ज्यादा बीमारी बढ़ने पर 100 फीसद तक हो सकती है. एक्सपर्ट के अनुसार सर्दी के इस मौसम में भी बकरियों का खास ध्यान रखना पड़ता है . अगर ऐसा नहीं किया गया तो बकरियों के बाड़े में बीमारी फैल सकती है. ये बीमारियां अक्सर जानलेवा साबित होती है. बकरी पालन शुरू करने के लिए सबसे उपयुक्त समय फरवरी का अंतिम सप्ताह होता है क्योंकि इस महीने में सर्दी थोड़ा कम हो जाती है. रायबरेली के पशु विशेषज्ञ डॉक्टर इंद्रजीत वर्मा बताते हैं कि फरवरी के अंतिम सप्ताह से लेकर अप्रैल माह तक आप बकरी पालन की शुरुआत करें यह समय बकरी पालन के लिए सबसे उपयुक्त समय माना जाता है
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सर्दी के मौसम में बकरी पालन सही नहींसर्दी के मौसम में बकरी पालन करना बिल्कुल सही नहीं है. सर्दी में बकरी और उनके मेमनों को शीतलहर से बचाकर रखना पड़ता है. कई बार बकरियों और मेमनों में ठिठुरन पैदा हो जाती है, जिससे निमोनिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. बकरियों की महामारी या बकरी प्लेग का खतरा भी बढ़ जाता है.
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