सर्वोच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति को उसकी अलग हो चुकी पत्नी और नाबालिग बेटियों को घर से बाहर निकालने के लिए फटकार लगाते हुए कहा कि इस तरह का व्यवहार मानव और जानवर के बीच fundamental अंतर को समाप्त कर देता है। न्यायालय ने इस क्रूरतापूर्ण कार्य को कड़ी निंदा की और कहा कि इस तरह के व्यवहार करने वाले को अदालत में जगह नहीं है।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक व्यक्ति को उसकी अलग हो चुकी पत्नी और नाबालिग बेटियों को घर से बाहर निकालने के लिए फटकार लगाते हुए कहा कि इस तरह का व्यवहार मानव और जानवर के बीच fundamental अंतर को समाप्त कर देता है। मामले में Justice Surya Kant और Justice N. K.
Patil की पीठ ने व्यक्ति से पूछा, 'आप किस प्रकार का आदमी हैं, अगर आप अपनी नाबालिग बेटियों की भी परवाह नहीं करते? नाबालिग बेटियों ने इस दुनिया में आकर क्या गलत किया है?' पीठ ने कहा, 'ऐसे क्रूर आदमी को इस अदालत में घुसने की अनुमति बिल्कुल नहीं।' आपकी सिर्फ कई बच्चे पैदा करने में दिलचस्पी रही। हम ऐसे क्रूर आदमी को इस अदालत में घुसने की अनुमति बिल्कुल नहीं दे सकते। सारा दिन घर पर कभी सरस्वती पूजा और कभी लक्ष्मी पूजा और फिर ये सब। पीठ ने कहा कि इस व्यक्ति को तब तक अदालत में प्रवेश की अनुमति नहीं मिलेगी जब तक वह अपनी बेटियों और पत्नी को भरण-पोषण भत्ता या कुछ कृषि भूमि नहीं दे देता है। ट्रायल कोर्ट ने पत्नी को प्रताड़ित करने का दोषी ठहराया था। ट्रायल कोर्ट ने झारखंड के इस व्यक्ति को दहेज के लिए अपनी अलग रह रही पत्नी को प्रताड़ित करने और परेशान करने का दोषी ठहराया। उस पर धोखे से पत्नी का गर्भाशय निकलवाने और बाद में दूसरी महिला से शादी करने का भी आरोप है। शीर्ष अदालत ने व्यक्ति के वकील से कहा कि वह अदालत को बताए कि वह अपनी नाबालिग बेटियों और अलग रह रही पत्नी के भविष्य के भरण-पोषण के लिए कितना गुजारा भत्ता देने को तैयार है। इस मामले में अगली सुनवाई 14 फरवरी को होगी
SUPREME COURT CRUELTY WIFE DAUGHTER ALIMONY LAND
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