सर्वोच्च न्यायालय ने दहेज और घरेलू हिंसा कानूनों में सुधार की याचिका खारिज कर दी

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सर्वोच्च न्यायालय ने दहेज और घरेलू हिंसा कानूनों में सुधार की याचिका खारिज कर दी
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भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने दहेज और घरेलू हिंसा कानूनों में सुधार की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि समाज में बदलाव की आवश्यकता है, न्यायालय उसमें कुछ नहीं कर सकता। याचिका में दावा किया गया था कि वर्तमान कानूनों का दुरुपयोग हो रहा है और इनमें सुधार की आवश्यकता है।

भारतीय सर्वोच्च न्याय ालय ने दहेज और घरेलू हिंसा कानून ों में सुधार की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। न्याय ालय ने कहा कि इस तरह के बदलाव के लिए समाज में बदलाव की आवश्यकता है, और न्याय ालय उसमें कुछ नहीं कर सकता। याचिका में दलील दी गई थी कि वर्तमान दहेज और घरेलू हिंसा कानून ों का दुरुपयोग हो रहा है और इनमें सुधार की आवश्यकता है। याचिका में कानून ों की समीक्षा के लिए एक समिति बनाने की भी मांग की गई थी। यह याचिका नई दिल्ली में एक इंजीनियर की आत्महत्या के बाद दायर की गई थी, जिन्होंने अपनी पत्नी

द्वारा कानूनी तौर पर उत्पीड़न करने और कानून में कथित खामियों के चलते आत्महत्या की थी। इस घटना के बाद समाज में दहेज और घरेलू हिंसा कानूनों के दुरुपयोग को लेकर बहस छिड़ गई। याचिका वकील विशाल तिवारी ने दायर की थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों, वकीलों और कानूनी विशेषज्ञों की एक समिति बनाने की मांग की गई थी, जो मौजूदा दहेज और घरेलू हिंसा कानूनों की समीक्षा करे। याचिका में अन्य सुझावों में शादी पंजीकृत करते समय शादी में मिले सामान और उपहारों को भी पंजीकृत कराने का प्रावधान और वर्ष 2010 में आईपीसी की धारा 498ए पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियों को लागू करने की भी मांग की गई थी। याचिका में कहा गया है कि कानूनों में सुधार से असहाय पुरुषों की जान बचाई जा सकती है और कानून का उद्देश्य भी पूरा होता रहेगा।

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सर्वोच्च न्यायालय दहेज घरेलू हिंसा कानून सुधार याचिका

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