यूपी में एक सामूहिक हत्याकांड के बाद पिता बदरुद्दीन उर्फ बदर फरार चल रहे हैं। पुलिस उनके बेटे अरशद की संलिप्तता की भी जांच कर रही है। पुलिस को एक वसीयत मिली है जिसमें बदर ने अपनी चार बेटियों को अपना मकान दिया है और बेटे अरशद को वसीयत में कोई हक नहीं दिया है।
सामूहिक हत्याकांड के मुख्य आरोपी अरशद को जेल भेज दिया गया है। फरार पिता बदरुद्दीन उर्फ बदर की तलाश में यूपी में अलर्ट है। हत्याकांड में पुलिस पिता की संलिप्तता की भी बात कह रही है। मगर, पुलिस के हाथ लगी वसीयत ने पूरी कहानी को उलझा दिया कहीं न कहीं वो बेटे की हरकतों से परेशान थे। बदर ने 10 महीने पहले ही अपनी वसीयत लिख दी थी। इसमें बहुत कुछ बयां भी किया है। एक तरफ बेटे से दूरी नजर आ रही है तो बेटियों के प्रति प्यार भी छलक रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि बेटियों के नाम संपत्ति करने वाले पिता ने
आखिर बेटे का साथ क्यों दिया? उनकी कोई मजबूरी तो नहीं थी। इस पर पुलिस पड़ताल में लगी है। 'न मालूम कब किस वक्त मेरा प्राणांत हो जाए' ट्रांस यमुना पुलिस को वसीयत की एक प्रति मिल गई है। बदर ने 24 फरवरी 2024 को एत्मादपुर तहसील में वसीयत कराई थी। इसमें लिखा था कि उम्र 52 साल पहुंच चुकी है। इस ना-पाएदार जीवन का कोई भरोसा व ठिकाना नहीं है। न मालूम कब किस वक्त मेरा प्राणांत हो जाए। 'बेटियां मेरी हर प्रकार की सेवा करती हैं' मेरा एक पुत्र अरशद उर्फ असद, जो शादीशुदा था, अब तलाक हो चुका है। चार पुत्रियां रहमीन, अक्शा, अल्शिफा और आलिया हैं। इनकी उम्र 19, 17, 14 व 8 वर्ष हैं। किसी की शादी नहीं हुई है। बेटियां मेरी हर प्रकार की सेवा करती हैं। मुझको किसी भी प्रकार की दिक्कत और परेशानी नहीं होने देती हैं। बिना किसी दबाव के बेटियों के नाम पर किया मकान मुझको भी इनसे काफी हार्दिक स्नेह और प्यार है। लिहाजा इनकी सेवा से खुश होकर मकान को बेटियों के नाम पर किसी दबाव के बिना कर रहा हूं। वसीयत में यह भी लिखा कि जब तक वो जीवित रहेंगे तब तक मकान के मालिक रहेंगे। उनकी मृत्यु के बाद बेटियां रहेंगी। वसीयत में यह भी लिखा कि पुत्र असद का कोई संबंध नहीं है न होगा। इस वसीयत को उन्होंने प्रथम और अंतिम होने का भी दावा किया है। रजिस्ट्री के बाद हुआ था झगड़ा थाना ट्रांस यमुना पुलिस की जांच में सामने आया कि बदर ने बेटे की हरकत से परेशान होकर ही वसीयत की थी। उन्होंने एक जनवरी को मकान के आधे हिस्से का सौदा किया था। 14 फरवरी को रजिस्ट्री की थी। इसके बाद ही अरशद ने झगड़ा शुरू कर दिया था। पिता से विवाद किया था। इस पर ही उन्होंने 24 फरवरी को वसीयत की थी। इसमें मृत्यु के बाद मकान पर बेटियों का हक दर्शा दिया
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