Sawan 2024: बरेली में भगवान शिव का 1000 वर्ष पुराना मंदिर है, जो धोपेश्वर नाथ धोपा के नाम से प्रसिद्ध है. यहां एक विशेष नदी है, जिसमें सावन के महीने में नहाने से व्यक्ति के सभी प्रकार के चर्म रोग दूर हो जाते हैं. चर्म रोग से पीड़ित लोग अक्सर सावन के महीने में बृहस्पतिवार के दिन आकर यहां बने हुए कुंड में स्नान करते हैं.
विकल्प कुदेशिया/बरेली: नाथ नगरी बरेली भगवान शिव के मंदिरों के लिए फेमस है. यहां पर भगवान शिव का 1000 वर्ष पुराना मंदिर है, जो धोपेश्वर नाथ धोपा के नाम से प्रसिद्ध है. सावन के महीने में इस मंदिर की विशेष मान्यता है. यहां भक्तों की मुराद स्वयं भोले बाबा सुनते हैं. यहां पर द्वापर युग से भगवान भोलेनाथ की एक चमत्कारी मूर्ति है. मान्यता है कि अगर कोई भक्त सावन के महीने में 40 दिन तक जाकर भगवान भोलेनाथ आदि देव महादेव को जल अर्पण कर उनकी पूजा- अर्चना करता है.
आखिर कैसे हुआ इस विशेष कुंड व गुफा का निर्माण? मंदिर के प्रमुख पंडित देवकीनंदन जोशी बताते हैं कि यह सरोवर पहले तो यहां पर कच्चा बना हुआ था, जहां राम गंगा जी बहती थी. फिर एक बार अवध के नवाब ने इस सरोवर को पक्का बनवाया. दरअसल उन्हें बच्चों की प्राप्ति नहीं हो रही थी, तो उस समय उनके वित्त मंत्री ने उन्हें बताया कि एक यहां पर भूपेश नाथ मंदिर है. इस बात को मानकर नवाब ने वहां जाकर पूजा-अर्चना की. इसके बाद उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई.
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