सिलिकोसिस: सिलिका धूल के स्वीकार्य स्तर को घटाकर आधा करने से कम हो सकते हैं मामले, बच सकती हैं लाखों जान

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सिलिकोसिस: सिलिका धूल के स्वीकार्य स्तर को घटाकर आधा करने से कम हो सकते हैं मामले, बच सकती हैं लाखों जान
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इंपीरियल कॉलेज लंदन से जुड़े शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में बताया है कि सिलिका धूल के स्वीकार्य स्तर को घटाकर आधा करने से इसके मामले आधे हो सकते हैं। जिससे लाखों मजदूरों की जान बच सकती है।

पत्थर काटने, ड्रिल करने के दौरान या सीमेंट उद्योग से निकलने वाली सिलिका युक्त धूल जब सांस के जरिये शरीर में पहुंचती है तो इसके संपर्क में आने वाले मजदूर और अन्य कर्मचारी फेफड़ों की जानलेवा बीमारी सिलिकोसिस हो जाते हैं। श्रमिकों के जीवनभर सिलिका धूल के स्वीकार्य स्तर के संपर्क में रहने के बावजूद सिलिकोसिस विकसित होने का खतरा बहुत अधिक होता है। स्वीकार्य सीमा को घटाकर आधा करने से लाखों मजदूरों की जान बचाई जा सकती है। इंपीरियल कॉलेज लंदन से जुड़े शोधकर्ताओं ने अध्ययन के आधार पर यह सुझाव दिया है।...

धूल के संपर्क में रहे हैं उनमें सिलिकोसिस होने का खतरा कितना ज्यादा है। सिलिकोसिस के मामलों में 77% की कमी मुमकिन अध्ययन के मुताबिक, यदि चार दशकों के कामकाजी जीवन में सिलिका के औसत जोखिम को 0.1 मिलीग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से घटाकर 0.

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