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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बांग्ला लोगों के अधिकारों के लिए काम करने का दावा करने वाले संगठन बांग्ला पोक्खो द्वारा दायर सूचना के अधिकार कानून के तहत एक आवेदन के जवाब में कहा है कि 11 मार्च को अधिसूचित नागरिकता संशोधन अधिनियम और इसके नियमों के तहत ऑनलाइन दायर किए गए नागरिकता आवेदनों का रिकॉर्ड बनाए रखने का कोई प्रावधान नहीं है.
चटर्जी ने दावा किया कि मतुआ जैसे हिंदू बंगाली शरणार्थियों सहित भारतीय शरणार्थी पहले से ही आधार, राशन और ईपीआईसी कार्ड जैसे दस्तावेजों के आधार पर नागरिकता ले रहे हैं, इसलिए उन्हें खुद को विदेशी घोषित करने की कोई इच्छा नहीं है.’ भाजपा सांसद और पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा, ‘प्रत्येक कानून को एक बार अधिसूचित होने के बाद पूरी तरह से लागू होने से पहले प्रारंभिक अवधि की आवश्यकता होती है. ये वही समय है. चूंकि चुनाव आ चुका है, इसलिए हमने फिलहाल सीएए के लिए आवेदन करने के लिए लोगों को आवश्यक प्रोत्साहन नहीं दिया है.’
राज्यसभा में टीएमसी के सांसद साकेत गोखले ने कहा, ‘यह समझ से परे है कि सरकार के पास इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है कि कितने नागरिकता आवेदन प्राप्त हुए हैं.’
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