सीरिया में असद सरकार का पतन उन देशों के लिए भी बहुत बड़ी घटना है जो असद का समर्थन कर रहे थे और उनके लिए भी जो असद के शासन का अंत चाहते थे.
रविवार को सीरिया की सेना की ओर से राष्ट्रपति बशर अल-असद के 24 साल के शासन के समाप्त होने के ऐलान के बाद विपक्ष का झंडा थामे जश्न मनाता शख़्ससीरिया मध्य पूर्व के केंद्र में है और असद सरकार के पतन से इस इलाक़े और दुनिया के एक बड़े हिस्से में शक्ति संतुलन बदल जाएगा.साथ ही इसमें लेबनान की सेना ने भी हस्तक्षेप किया, तो अब उनके लिए सीरिया के नए हालात का क्या मतलब है?
रूस की मदद को उन प्रमुख वजहों में एक माना जाता है, जिनसे असद सरकार साल 2015 और 2016 के बीच देश के ज़्यादातर हिस्से पर विद्रोही गुटों से अपना नियंत्रण वापस लेने में सफल रही. ईरान ने असद सरकार के दौरान सरकारी सेना को महत्वपूर्ण सैन्य सहायता मुहैया कराई थी. उसने सीरियाई युद्ध के चरम पर होने के दौरान हथियारबंद गुटों के ख़िलाफ़ लड़ने वाले कुछ सीरियाई अर्द्धसैनिक बलों को ट्रेनिंग दी.
"ईरान ने यमन में हूती विद्रोहियों को हवाई हमलों में निशाना बनते हुए भी देखा है. ये सभी गुट और इनके साथ ही इराक़ में मौजूद लड़ाके और ग़ज़ा में हमास को मिलाकर उस संगठन का निर्माण करते हैं जिसे ईरान 'प्रतिरोध की धुरी' कहता है.बशेगा कहते हैं, "सीरिया की इस नई तस्वीर का इसराइल में जश्न मनाया जाएगा, जहां ईरान को अपने अस्तित्व के लिए ख़तरा माना जाता है.
बशर अल-असद ने अपने देश में मौजूद सशस्त्र फ़लस्तीनी समूहों को कुछ इस तरह से संबोधित किया, ''आप उन्हें 'आतंकवादी' कहते हैं, हम उन्हें स्वतंत्रता सेनानी कहते हैं.'' अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के एक वरिष्ठ अधिकारी डैनियल शापिरो ने कहा कि तथाकथित 'इस्लामिक स्टेट' समूह से लड़ने के लिए अमेरिकी सेना पूर्वी सीरिया में रहेगी.
"तुर्की, जो सीरिया में कुछ विद्रोहियों का समर्थन करता है, उसने विद्रोह का नेतृत्व करने वाले इस्लाम समर्थक समूह एचटीएस का समर्थन करने से इनकार किया है." इसलिए सीरिया में असद सरकार का विरोध करने वाले कुछ राजनीतिक गुट उसके पतन को सकारात्मक नतीजे के तौर पर देखते हैं. वो कहती हैं, "न केवल अभी के लिए, बल्कि गुटों के ख़ुद को फिर से खड़ा करने की संभावनाओं के लिए भी यह एक और झटका है."
कैरिन टोरबे कहती हैं, "यह अपने आप में इस बात का संकेत है कि कैसे चीजें पूरी तरह से उलट गई हैं. हम जानते हैं कि शिया लोग लेबनान से सीरिया में तब आते थे, जब सीरिया में असद का शासन था." इसराइल ने साल 1967 के छह दिनों तक चले युद्ध के अंतिम दौर में सीरिया के गोलान पर कब्जे को छीन लिया था. साल 1981 में उसने इस पर एकतरफा कब्जा कर लिया था. इसराइल के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं मिली, हालाँकि अमेरिका ने साल 2019 में इसे एकतरफा मान्यता दे दी.
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