सीरिया में अल्पसंख्यक समुदायों को HTS से बढ़ता डर

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सीरिया में अल्पसंख्यक समुदायों को HTS से बढ़ता डर
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सीरिया के अल बाव, लताकिया, तारतूस में HTS की सरकार आने के बाद, क्रिश्चियन, शिया और अलावी समुदायों में डर का माहौल है।

क्रिश्चियन , शिया और अलावी तीनों को HTS से डर: सीरिया के अल बाव, लताकिया, तारतूस में अभी खतरनाक माहौल है। पता नहीं कौन आकर मार दे। दोस्त या पड़ोसी भी आपकी जान ले सकता है। हत्यारे नकाब लगाकर घूम रहे हैं।‘डर तो है ही। हम जानते हैं कि वे ( HTS ) कौन हैं। उनका अतीत क्या है। वे बड़े-बड़े वादे कर रहे हैं कि सभी को साथ लेकर चलेंगे, लेकिन ये वादे सच होंगे या नहीं, इसकी चिंता है।’ - परा अलावी समुदाय से हैं और बिशप अरमशनाल क्रिश्चियन हैं। सीरिया में HTS की सरकार आने के बाद दोनों का डर एक जैसा है। यही डर

शिया कम्युनिटी में भी है। उनकी आबादी वाले एरिया में बैनर लगे हैं कि हम HTS के साथ हैं। ऐसा इसलिए ताकि HTS लड़ाके बस्ती पर हमला न करें। अलावी, क्रिश्चियन और शिया सीरिया में अल्पसंख्यक हैं और HTS कट्टरपंथी सुन्नी संगठन। HTS का पहले आतंकी संगठन अल कायदा और ISIS से जुड़ाव रहा है। यही वजह है कि सीरिया के अल्पसंख्यक उससे डरे हुए हैं। राजधानी दमिश्क में अलावी समुदाय अल-मेज्जे 86 एरिया में, क्रिश्चियन ओल्ड दमिश्क में और शिया अल-मज्जा में रहते हैं। दैनिक भास्कर इन तीनों एरिया में पहुंचा।अल-मेज्जे सेंट्रल दमिश्क में अलावी समुदाय की घनी आबादी वाला एरिया है। छोटी-छोटी गलियों से गुजरने पर पता चलता है कि ये 3 हजार साल पुराने शहर की शुरुआती बस्तियों में से एक रही होगी। अल-मेज्जे की तरफ जाने वाले रास्ते पर कई जगह HTS ने चेक पोस्ट बना लिए हैं। एक चेक पोस्ट पर हथियारबंद लड़ाकों ने हमें रोका। पूछा- कहां जा रहे हो? कवरेज के लिए मिला परमिशन लेटर दिखाने पर ही उसने आगे जाने दिया। अलावी के अलावा अल्पसंख्यक शिया और ईसाई आबादी वाले इलाकों में भी हथियारबंद लड़ाकों वाले चेकपोस्ट बन गए हैं। चेकपोस्ट से गुजरते हुए हम अल-मेज्जे 86 एरिया में पहुंच गए। यहां हमें परा अहद्दाद मिलीं।परा अहद्दाद दमिश्क यूनिवर्सिटी में स्कॉलर हैं। अल-मेज्जे 86 एरिया में सब्जी की दुकान पर मिल गईं। हमने पूछा कि आप असद के समुदाय से आती हैं। क्या तख्तापलट के बाद आपके लिए कुछ बदला है, क्या आपको डर लग रहा है? परा जवाब देती हैं, ‘किसी देश में बड़ा बदलाव होता है, तो डर तो लगता ही है। सीरिया में 8 दिसंबर को सब बिना खून खराबे के हुआ। सीरिया में हर कोई सेफ रहना चाहता हूं। हम अच्छा देश बनाना चाहते हैं।

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