बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश अपनी जगह हैं. लेकिन, सरकार जब किसी अपराधी का घर गिराने पहुंचती है तो आम जनता में खुशी की लहर होती है. यानि कि सरकार का बुलडोजर एक्शन एक लोकप्रिय कदम होता है.
पिछले कुछ दिनों में बुलडोजर एक्शन पर जिस तरह के फैसले सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं उससे यही लग रहा था कि बुधवार को कोई सख्त फैसला ही आएगा. जमीयत उलेमा-ए-हिन्द बनाम उत्तरी दिल्ली नगर निगम व अन्य से संबंधित केस में सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा है कि इस मामले में मनमाना रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अधिकारी मनमाने तरीके से काम नहीं कर सकते. बगैर सुनवाई आरोपी को दोषी नहीं करार नहीं दिया जा सकता है. जस्टिस ने फैसला सुनाते हुए कहा, 'अपना घर पाने की चाहत हर दिल में होती है.
हत्या और बलात्कार के जिन अपराधियों का मीडिया ट्रायल नहीं होता है वो कब चुपके से जमानत पर बाहर आ जाते हैं उसका पता भी नहीं चलता है. अगर बड़े लोग हैं और उनके पास वोट बैंक हैं तो जेल से पैरोल पर बाहर आते रहिए कोई नहीं पूछने वाला है. जेसिका लाल हत्याकांड के दोषी को उम्र कैद के पूरा होने के बहुत पहले ही अच्छे आचरण पर रिहा कर दिया जाता है. कई अति गंभीर मामलों में दोषी गुरमीत राम रहीम बाबा को कब जेल जाते हैं और कब बाहर आ जाते हैं यह किसी से छिपा नहीं है.
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