2018 में नागपुर में एक दलित विद्वान कपल के साथ हुआ एक घटना के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने बौद्धिक संपदा के नुकसान को एससी/एसटी एक्ट के तहत 'संपत्ति के नुकसान' में शामिल करने का फैसला किया। कपल ने अपने लैपटॉप और शोध डेटा चोरी होने के बाद मुआवजे की मांग की थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने शोधकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाया और 5 लाख रुपये की राहत दी। महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, लेकिन 24 जनवरी को इसे खारिज कर दिया गया।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कानून पर भरोसा होना चाहिए। जीत आखिरकार न्याय की ही होती है। 2018 में नागपुर के एक ऐसे ही मामले ने इस बात को साबित कर दिया। यह मामला साल 2018 का है। दलित विद्वान क्षिप्रा कमलेश उके और शिवशंकर दास का रिसर्च लैपटॉप 2018 में चोरी करके नष्ट कर दिया गया। इस मामले में अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बौद्धिक संपदा अधिकारों को शामिल करने के लिए एससी/एसटी एक्ट के तहत 'संपत्ति के नुकसान का विस्तार किया। नागपुर में अपने मकान मालिक के बेटे द्वारा कथित रूप से बेदखली की कोशिश की...
क्षिप्रा कमलेश उके व शिवशंकर दास का कहना है कि उनके पास अदालती लड़ाई लड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह गया था। सुप्रीम कोर्ट ने पक्ष में दिया फैसला इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार यह मामला कोर्ट पहुंचा। यहां इस बात पर फैसला हुआ कि क्या एससी एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम में 'संपत्ति को नुकसान' में बौद्धिक संपदा यानी आईपी शामिल है? 24 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में निर्णय दिया। बॉम्बे हाईकोर्ट के 2023 के आदेश को कायम रखते हुए अधिनियम में 'बौद्धिक संपदा' की परिभाषा...
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