सुप्रीम कोर्ट का फैसला, जनसेवक माने जाएंगे डीम्ड यूनिवर्सिटी के कर्मचारी

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सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में व्यवस्था दी है कि डीम्ड यूनिवर्सिटी भ्रष्टाचार निरोधक कानून, 1988 के दायरे में आएगी mewatisanjoo

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में व्यवस्था दी है कि डीम्ड यूनिवर्सिटी भ्रष्टाचार निरोधक कानून, 1988 के दायरे में आएगी. इनके कर्मचारी जनसेवक माने जाएंगे. यह फैसला देते हुए जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने गुजरात की एक डीम्ड यूनिवर्सिटी के ट्रस्टी को रिश्वत लेने के मामले में बरी करने के गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया.

ट्रस्टी पर एमबीबीएस कोर्स में परीक्षा दिलाने के लिए 25 लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप था. पीठ ने कहा कि हमारी राय में हाईकोर्ट का यह निष्कर्ष गलत है कि डीम्ड यूनिवर्सिटी शब्द भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 2 से बाहर रखा गया है.मामला गुजरात के प्रतिष्ठित डीम्ड विश्वविद्यालय के एक ट्रस्टी पर मेडिकल छात्रा से अंतिम वर्ष की परीक्षा दिलाने के लिए 25 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप से जुड़ा है.

आरोपी ने ट्रायल कोर्ट में चार्जशीट को निरस्त करने के लिए सीआरपीसी की धारा 227 के तहत आवेदन दायर किया. सेशन कोर्ट ने उस आवेदन को खारिज कर दिया. इसे उसने हाईकोर्ट में चुनौती दी और हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि डीम्ड विश्वविद्यालय पीसी एक्ट के तहत सार्वजनिक संस्थान नहीं है और इसके अधिकारी जनसेवक नहीं हैं. इसे कानून की पीसी एक्ट की धारा 2 से बाहर रखा गया है. इस फैसले को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.

कोर्ट ने कहा कि यहां पब्लिक ड्यूटी अहम है, धारा 2 बी में सार्वजनिक ड्यूटी समुदाय के व्यापक हितों या राज्य के लिए किए जा रहे कार्य को कहा गया है. डीम्ड विश्वविद्यालय स्पष्ट रूप से सार्वजनिक सेवा कर रहे हैं.पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट को धारा 227 के तहत डिस्चार्ज आवेदन पर विचार करते समय सामान्य जांच करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. आरोपी के पास से करोड़ रुपये तक के चेक तथा अन्य दस्तावेज मिले हैं, इसलिए प्रथम दृष्टया केस बनता है.

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