प्रयागराज महाकुंभ 2001, इस सहस्राब्दी का पहला कुंभ था, जिसमें विषय व्यवस्था और सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया था. संगम के पास भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा व्यवस्था और स्वच्छता पर जोर देते हुए प्रशासन ने इसे एक आदर्श आयोजन बनाया. भीड़ का समुचित प्रबंधन और तकनीकी सहायकों का समर्थन इस महाकुंभ को सफल बनाने की कुंजी थे.
प्रयागराज महाकुंभ 2001 जिसका मैं आईजीपी था, इस सहस्राब्दी का पहला कुंभ था और किसी भी अप्रिय घटना से पूरी तरह मुक्त था. कुंभ या महाकुंभ हर 12 साल में देश के चार अलग-अलग स्थानों पर मनाया जाता है. इनमें प्रयागराज सबसे महत्वपूर्ण है, जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम होता है. इसे त्रिवेणी भी कहा जाता है.Advertisementइन अवसरों पर, नदियों के किनारे स्थित इन स्थानों पर विशाल जनसमूह एकत्रित होते हैं. भक्त इन पवित्र नदियों में स्नान करते हैं.
यद्यपि इसका सीमित आकर्षण था, फिर भी इसने संगम तट, वास्तविक संगम पर बोझ कम किया. इन अतिरिक्त घाटों ने मुख्य क्षेत्र से मोड़ के मामले में आकस्मिक स्नान क्षेत्र के रूप में भी काम किया. वास्तव में, 29 जनवरी को भगदड़ के बाद अधिकारियों, सीएम और यहां तक कि धार्मिक प्रमुखों द्वारा भी यही अपील की गई थी.इस दृष्टिकोण से मेला क्षेत्र में यातायात को भी कम किया जा सकता है. गंगा और यमुना के संगम को संगम नोज के नाम से जाना जाता है. यह कुंभ मेले का केंद्र है. यह वह स्थान है जहां हर कोई स्नान करना चाहता है.
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