सैटेलाइट फोन: क्या है ये और क्यों है इतना खास?

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सैटेलाइट फोन: क्या है ये और क्यों है इतना खास?
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सैटेलाइट फोन का उपयोग कैसे होता है और यह स्मार्टफोन से कैसे अलग है।

नई द‍िल्‍ली. आपने सैटेलाइट फोन के बारे में आजकल कई बार सुना होगा. इंद‍िरा गांधी इंटरनेशन एयरपोर्ट पर एक व‍िदेशी मह‍िला सैटेलाइट फोन के साथ पकड़ी गई थीं. इस फोन को अक्‍सर आतंकवाद‍ियों और नक्‍सल‍ियों के साथ जोड़कर देखा जाता है. अंडमान में क‍िए गए छापेमारी में नक्‍सल‍ियों के पास एक सैटेलाइट फोन भी बरामद हुआ था. यह सैटेलाइट फोन एलन मस्‍क की कंपनी स्‍टारल‍िंक का था, ज‍िसके बाद कंपनी को लेकर काफी सवाल क‍िए गए. लेक‍िन आपके मन में ये सवाल जरूर आ रहा होगा क‍ि ये सैटेलाइट फोन क्‍या होता है.

ये स्‍मार्टफोन जैसा नहीं होता क्‍या? क‍ितना अलग होता है? इसे लेकर इतनी सावधानी क्‍यों बरती जा रही है? इन सभी सवालों के जवाब आपको यहां म‍िल जाएंगे. सबसे पहले आप ये जान‍िए क‍ि सैटेलाइट फोन क्‍या होते हैं… यह भी पढ़ें : इस डिवाइस के साथ भारत में घूमते पकड़े गए तो जाना पड़ सकता है जेल; जानिए क्यों सैटेलाइट फोन और स्‍मार्टफोन में क्‍या अंतर है? स्मार्टफोन, टेलीफोन टावर और इंटरनेट नेटवर्क के जरिए काम करते हैं. आप स्‍मार्टफोन से कॉलिंग, मैसेजिंग और इंटरनेट का इस्तेमाल करने के ल‍िए 4G, 5G या वाई-फाई जैसे नेटवर्क का उपयोग करते हैं. अगर नेटवर्क कवरेज नहीं है, तो स्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. लेक‍िन सैटेलाइट फोन के साथ ऐसा नहीं है. सैटेलाइट फोन, टेलीकॉम टावर की बजाय धरती के ऊपर मौजूद सैटेलाइट से सीधे जुड़ते हैं. यानी जो ब्रह्मांड में सैटेलाइट मौजूद हैं, उनसे जुडते हैं. इसका मतलब ये हुआ कि इसे इस्तेमाल करने के लिए नेटवर्क टावर की जरूरत नहीं होती. सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल उन जगहों पर भी किया जा सकता है, जहां टेलीकॉम नेटवर्क उपलब्ध नहीं है, जैसे घने जंगल, रेगिस्तान, समुद्र या पहाड़ी इलाके. सैटेलाइट फोन कैसे काम करता है? सैटेलाइट फोन में एक एंटीना लगा होता है, जो सीधे सैटेलाइट से संचार करता है. जब आप कॉल करते हैं या कोई मैसेज भेजते हैं, तो यह सिग्नल डायरेक्ट सैटेलाइट तक पहुंचता है. फिर सिग्नल को दूसरे सैटेलाइट या ग्राउंड स्टेशन के जरिए रिसीवर तक भेजा जाता है. इस प्रक्रिया में सामान्य मोबाइल नेटवर्क की तुलना में ज्‍यादा समय लगता है

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