सैलरी जस की तस, घटी खरीदारी... यह ग्रोथ में ब्रेक है या मंदी की आहट, भारत के लिए कैसे संकेत?

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सैलरी जस की तस, घटी खरीदारी... यह ग्रोथ में ब्रेक है या मंदी की आहट, भारत के लिए कैसे संकेत?
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भारतीय अर्थव्यवस्था कई संकेतकों के अनुसार धीमी पड़ रही है। कई क्षेत्रों में गतिविधियों में कमी आई है। सस्ती कारों की मांग घट रही है। प्रमुख बुनियादी उद्योगों की ग्रोथ भी धीमी है। इन सब कारणों से भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ रहा है और इससे चिंता की स्थिति पैदा हुई...

नई दिल्‍ली: दुनिया में सबसे तेज दौड़ लगा रहा भारत कुछ हांफता सा दिख रहा है। कई प्रमुख इंडिकेटर और रिपोट्स इस ओर संकेत दे रहे हैं। यह 2047 तक विकसित बनने का सपना देख रही भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लिए कतई शुभ नहीं है। सस्‍ती कारों का घटना, सितंबर में प्रमुख बुनियादी उद्योगों की ग्रोथ सुस्‍त पड़ना, नौकरी में सैलरियों का न बढ़ना और शहरों में खरीदारी घटना। ये सब भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को लेकर चिंता पैदा करने लगे हैं। क्‍या दुनिया के कई दूसरे मुल्‍कों की तरह उसे भी मंदी तो जकड़ने नहीं लगी है? बीते...

2 फीसदी जीडीपी ग्रोथ का अनुमान बहुत आशावादी है। नोमुरा ने वित्त वर्ष 2024-25 और वित्त वर्ष 2025-26 में जीडीपी ग्रोथ में कमी की आशंका तक जताई है। उसका कहना है कि शहरी मांग में कमजोरी और उपभोक्ता खर्च में गिरावट जारी है।शहरी खपत के इंडिकेटर कमजोरनोमुरा ने कहा कि शहरी खपत के इंडिकेटर कमजोर हुए हैं। उसने यात्री वाहन बिक्री में गिरावट, एयरलाइन यात्री यातायात में कमी और एफएमसीजी कंपनियों की ओर से कमजोर शहरी मांग का हवाला दिया है। उसने यह भी कहा है कि कंपनियां अपने वेतन भुगतान को कम कर रही हैं। सस्‍ती...

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