सोमवती अमावस्या एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है जो सोमवार को आती है। इस दिन पितरों को तर्पण देने का विधान है और शिव पूजन का भी महत्व है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सोमवती अमावस्या एक महत्वपूर्ण दिन है, जो सोमवार को आती है। इस दिन का बहुत धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। साथ ही यह दिन पितरों को तर्पण देने के लिए समर्पित। हिंदू पंचांग के अनुसार, 30 दिसंबर यानी आज साल की अंतिम सोमवती अमावस्या मनाई जा रही है। वहीं, इस दिन पितरों की पूजा के अलावा शिव पूजन का भी विधान है। मान्यता है कि जो साधक इस दिन सच्ची भक्ति के साथ पूजा करते हैं, उनके भाग्य खुल जाते हैं, तो चलिए यहां पर सही पूजन विधि जानते हैं। सोमवती अमावस्या 2024 शुभ मुहूर्त हिंदू
पंचांग के अनुसार, अमृत काल शाम 05 बजकर 24 मिनट से 07 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। फिर विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 07 मिनट से 02 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 32 मिनट से 05 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। वहीं, निशिता मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। सोमवती अमावस्या पूजा विधि सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें। इस दिन पवित्र नदी गंगा में डुबकी लगाने के लिए जरूर जाएं। स्नान करने के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। अपने पितरों का पिंडदान और पितृ तर्पण करें। जो लोग गंगा नदी तट पर नहीं जा सकते हैं, वे पितृ तर्पण या पितृ पूजा घर पर किसी जानकार ब्राह्मण से करवाएं। साथ ही उन्हें भोजन, कपड़े और दक्षिणा आदि दें। इस दिन हवन का आयोजन करें। अमावस्या के दिन कुत्ते, गाय, चींटियों और कौवों को दाना जरूर डालें। अपने पितरों की शांति के लिए पितृ गायत्री का आयोजन भी कर सकते हैं। इस विशेष दिन भगवद गीता का पाठ करें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
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