Fast Track Release of Undertrials: सुप्रीम कोर्ट ने नए कानून के तहत पहली बार अपराध करने वाले विचाराधीन कैदियों की रिहाई के लिए एक फरमान जारी कर दिया है. इसके मुताबिक पहली बार अपराध करने वाले जेल में बंद शख्स ने अगर अपने अपराध की कम से कम एक-तिहाई सजा के बराबर वक्त जेल में काट लिया, तो उसे रिहा कर दिया जाना चाहिए.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 479 को पहले के समय से लागू करने का आदेश दिया है. जिसके तहत जेल में बंद पहली बार अपराध करने वाले विचाराधीन कैदियों को रिहा किया जाना अनिवार्य है, बशर्ते कि उन्होंने कथित रूप से किए गए अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम सजा का एक तिहाई हिस्सा काट लिया हो. भारतीय न्याय संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता के साथ-साथ बीएनएसएस इस साल लागू हुआ.
सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों में राज्य सरकार के संबंधित विभाग को रिपोर्ट करने को कहा है. जस्टिस कोहली ने कहा कि तय मानदंड को पूरा करने वाले विचाराधीन कैदियों को यह दिवाली अपने परिवार के साथ बिताने दें.
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