नई दिल्ली की एक अदालत ने हत्या के प्रयास के एक मामले में आरोपी जोगिंदर को गिरफ्तारी से संरक्षण देने से इनकार कर दिया है।
नई दिल्ली : हत्या की कोशिश के एक मामले में कोर्ट ने आरोपी को गिरफ्तारी से संरक्षण देने से इनकार कर दिया। अपराध में आरोपी की कथित भूमिका पर गौर करते हुए कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता/जख्मी लोगों को धमकाए जाने की आशंका की अनदेखी नहीं की जा सकती है। जिससे अभियोजन का केस प्रभावित हो सकता है।वेकेशन जज शेफाली बर्नाला टंडन ने जोगिंदर की जमानत याचिका खारिज कर दी। आरोपी पर निहाल विहार थाने में बीएनएस की धारा 109(1) ( हत्या की कोशिश)/115(2) (किसी व्यक्ति को जानबूझकर चोट पहुंचाने के लिए सजा)/126(2) (एसिड से
हमला)/333(किसी के घर में जबरन घुसकर उसे नुकसान पहुंचाना)/351(3) (किसी को मौत या गंभीर चोट पहुंचाने की धमकी देना) /232(1)(किसी को झूठी गवाही देने के लिए धमकाना) /3(5) के तहत केस दर्ज है। आरोपी ने अग्रिम जमानत की मांग की थी।जितेंद्र और जगत कुमार ने आरोप लगाया था कि 3 जुलाई, 2024 को दो लोग उनके घर में जबरन घुस गए और उन्हें पीटते हुए धमकाने लगे कि 'तुमने हमारे भाई को जेल पहुंचाया है, तुम्हें जान से मार देंगे। तुम्हारे भतीजे ने हमारे भाई की पिस्टल छीनी थी, उसे भी जान से मारने जा रहे हैं।' इसके बाद वो दोनों लड़के अन्य लोगों के साथ उनके भतीजे जगत के घर में घुसे और उसे लोहे की छड़ से बुरी तरह पीटा। आरोपी की ओर से अदालत में दलील दी गई कि उसे बली का बकरा बनाया गया है। दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया है और इस आधार पर केस रद्द करने के लिए उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दी है, जिस पर 21 जनवरी को सुनवाई है।दूसरी ओर, अर्जी का विरोध करते हुए पुलिस ने दलील दी कि अपराध गंभीर प्रकृति का है। मौके से मिले सीसीटीवी फुटेज में आरोपी व्यक्ति जगत को पीटता हुआ दिखाई दे रहा है। अदालत ने अभियोजन पक्ष की दलीलों पर भरोसा जताया। गौर किया कि जख्मी जगत और उसका भाई एक दूसरे केस में गवाह थे, जिसमें सह आरोपी विपिन उर्फ काली के भाई सचिन को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था। 3 जुलाई, 2024 को घटना के बाद जगत और उसके भाई धीरेंद्र अदालत में अपने बयान से मुकर गए। सचिन को न्यायिक हिरासत से छोड़ दिया गया। अदालत ने कहा कि इस तरह का बर्ताव, गवाहों को धमकाने और उनके दिमाग में भय भरे जाने की ओर इशारा करता है।अपने सामने मौजूद सामग्री और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर अदालत को कथित अपराध में सोची समझी योजना नजर आई। जांच जारी होन
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