कासगंज के एक गांव में पैदा हुए पूर्व सिपाही सूरजपाल जाटव ने कुछ ही वर्षों में इतनी कामयाबी कैसे हासिल की?
हाथरस हादसाः सूरजपाल जाटव के नारायण साकार उर्फ़ 'भोले बाबा' बनने की पूरी कहानी", अवधि 11,09इस दरवाज़े पर गुलाबी यूनिफ़ार्म पहनकर खड़े एक सेवादार का कहना है, “यहां तक पहुंच ही गए हैं तो सिर भी झुका लीजिए, बेड़ा पार हो जाएगा.”सुरक्षा ड्यूटी में लगे एक सेवादार अपना नाम ज़ाहिर नहीं करते हुए कहते हैं, “हमारे परिवार से कोई ना कोई आश्रम की सेवा में लगा रहता है, जब मैं ड्यूटी नहीं कर पाता हूं, तो मेरा भाई यहां सेवा देता है. हम एक दशक से अधिक समय से इस आश्रम से जुड़े हैं.
इसका कारण बताते हुए अंजू गौतम कहती हैं, “उन्होंने कभी स्वंय को भगवान नहीं बोला है. वो लोगों को सत्य के मार्ग पर लाना चाहते हैं. पहले हमारे गांव में लड़कियां नहीं पढ़ पाती थीं, मैं बीए पास हूं, उन्होंने ही पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. पहले यहां बहुत गुंडागर्दी थी, लेकिन प्रभु के यहां आने से सब ख़त्म हो गया.इस आश्रम का मुख्य द्वार बंद रहता है. भक्त बाहर से ही इसका दर्शन करते हैं और माथा टेकते हैं.
राज बहादुर कहते हैं, “बाबा के बारे में सबसे पहले हमने यही सुना था कि वो एक मरी हुई लड़की को ज़िंदा करेंगे. लेकिन कोई ज़िंदा नहीं हुआ.” भगवान देवी कहती हैं, “चमत्कार कुछ होता नहीं है, बस लोगों को लगता है. गंगा में डूब रहा कोई बच जाए तो उसे लगेगा मेरे साथ चमत्कार हुआ है, गंगा ने मुझे बचा लिया. ऐसा ही मामला भोले बाबा का है, जो लोग यहां आते हैं, उन्हें कुछ फायदा हो जाता है, तो उन्हें लगता है कि बाबा ने चमत्कार किया है. हमने सुना है कि आश्रम के नलों से दूध निकलता है, लेकिन मैं तो कई साल से इन नलों से सिर्फ पानी ही पी रही हूं.”
राम सनेही ऐलार जाति से हैं जिन्हें लोधे राजपूत भी कहा जाता है. सूरजपाल जब पुलिस की नौकरी छोड़कर गांव लौटे थे, तब राम सनेही के पास भी आए थे. बहादुरनगर के रहने वाले राज बहादुर कहते हैं, “हम एससी जाति से हैं, हमारे प्रभु भी एससी हैं, इसलिए हम पर निशाना साधा जा रहा है. जैसे शम्भूक ऋषि के साथ हुआ था, वैसा ही नारायण साकार के साथ किया जा रहा है.”
लेकिन क्या वो नारायण साकार में विश्वास करती हैं, इस सवाल पर वो कहती हैं, “जैसे सब करते हैं हम भी करते हैं.” ऐसा प्रतीत होता है कि सूरजपाल ने नारायण साकार बनकर एक नया पंथ शुरू कर दिया है. उनका असर सिर्फ कासगंज या हाथरस ही नहीं, बल्कि आसपास के ज़िलों के ग्रामीण इलाक़ों में लगातार बढ़ रहा है. वो अपने भक्तों को सत्संग या अपने कार्यक्रमों का वीडियो बनाने के लिए सख़्ती से रोकते हैं. यदि कोई वीडियो बनाने की कोशिश करता है तो उनके सेवादार मोबाइल छीन लेते हैं.
नारायण साकार से जुड़े कई भक्ति गीत यूट्यूब पर हैं. ऐसे ही गीतों को प्रोडक्शन के दौरान कई साल पहले नारायण साकार के साथ काम करने वाले एक व्यक्ति अपना नाम न ज़ाहिर करते हुए कहते हैं, “पहले उनके साथ इतनी तादाद में लोग नहीं थे, ये संख्या पिछले कुछ साल में बहुत तेज़ी से बढ़ी है..
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