हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति के अतीत में अदानी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में शेयर थे.
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट दावा करती है कि सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अदानी समूह से जुड़ी ऑफ़शोर कंपनियों में ‘हिस्सेदारी’ थी.इस रिपोर्ट में कहा गया कि शेयर बाज़ार के कारोबार पर नज़र रखने वाली संस्था सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया यानी सेबी की अध्यक्ष माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अदानी समूह से जुड़ी ऑफ़शोर कंपनियों में ‘हिस्सेदारी’ थी, इन कंपनियों के ज़रिए बाज़ार में हेरफेर की गई.
इस साल मई में इस पैनल ने कोर्ट को दी गई रिपोर्ट में कहा कि बाजार नियामक सेबी अदानी मामले में कोई भी गड़बड़ी पता नहीं लगा सका. माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने इस आरोपों का जवाब देते हुए कहा है कि सेबी के सामने ज़रूरत पड़ने पर हर तरह से डिस्कोलज़र दिए गए हैं.
कथित तौर पर इस कंपनी के ज़रिए स्टॉक मार्केट को कृत्रिम तरीके से तेज़ी लाने के लिए इस्तेमाल किया गया और अदानी ग्रुप के शेयरों की क़ीमत बढ़ाई गई. "जून 2015 में माधबी और धवल बुच ने आईपीई प्लस में पहली बार निवेश किया. ये साल 2017 में माधवी बुच के सेबी का सदस्य नियुक्त किए जाने के पहले किया गया था.” अनिल आहूजा को लेकर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि वह साल 2017 तक अदानी इंटरप्राइजेज के डायरेक्टर थे. वह अदानी पावर के भी डायरेक्टर रह चुके हैं.
सेबी के अनुसार उसने अदानी समूह को 100 से ज़्यादा समन लगभग 1,100 पत्र और ईमेल जारी किए हैं. इसके अलावा सेबी ने घरेलू और विदेशी नियामकों से 300 से ज़्यादा बार बातचीत की गई है. साथ ही 12,000 पन्नों के दस्तावेज़ों की समीक्षा भी की गई है.इस पूरे मामले में कांग्रेस नेता और विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट से स्वतः सज्ञान लेने की बात कही है.
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