हिंदी के शीर्षस्थ रचनाकार डाॅ. गंगा प्रसाद विमल नहीं रहे, कार दुर्घटना में पुत्री और पोते की भी मौत GangaPrasadVimal
हिंदी साहित्य जगत के लिए बहुत दुखद क्षण है। अत्यंत दुखद सूचना है कि हिंदी के शीर्षस्थ रचनाकार डाॅ. गंगा प्रसाद विमल हमारे बीच नहीं रहे । घटना 3 दिन पहले की है। श्री लंका भ्रमण के लिए गये विमल जी की मौत कार दुर्घटना में हुई । उनके साथ उनकी पुत्री और पोते का भी निधन हो गया। उनका पार्थिव शरीर आज या कल में दिल्ली पहुंचने की संभावना है।
3 जुलाई 1939 को उत्तराखंड के उत्तरकाशी में जन्मे डॉ॰ गंगा प्रसाद विमल हिन्दी साहित्य में अकहानी आंदोलन के जनक के रूप में जाने जाते हैं। लेकिन उनकी रचना धर्मिता के सिर्फ एक आयाम नहीं है। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी लेखक रहे हैं। आलोचना के अतिरिक्त कविता, कहानी, उपन्यास और नाटक लेखन व एक कुशल अनुवादक के रूप में भी हिंदी समाज को समृद्ध किया है।
विमल जी वह साहित्य की बहुमुखी विधा के विरले सृजनधर्मी थे। अब तक उनके सात कविता संग्रह- 'बोधि-वृक्ष', 'नो सूनर', 'इतना कुछ', 'सन्नाटे से मुठभेड़', 'मैं वहाँ हूँ', 'अलिखित-अदिखत', 'कुछ तो है', प्रकाशित हो चुके हैं। कहानी संग्रहों में- कोई शुरुआत, अतीत में कुछ, इधर-उधर, बाहर न भीतर, खोई हुई थाती, भी लोकप्रिय संग्रहों में से हैं। चार उपन्यास-अपने से अलग, कहीं कुछ और, मरीचिका, मृगांतक, और 'आज नहीं कल' शीर्षक से एक नाटक और आलोचना पर तीन...
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