26 दिसंबर 2004 को आए 9.1 तीव्रता के भूकंप ने हिंद महासागर में सुनामी का कारण बनाया, जिससे 14 देशों में करीब 2.3 लाख लोगों की जान जा चुकी है।
20 साल पहले हिंद महासागर में आई 'तबाही' के जख्म आज भी ताजा हैं। इस तबाही में भारत समेत दुनिया के 14 देशों के करीब 2.3 लाख लोगों की जान ले ली थी। कैलेंडर में तारीख थी 26 दिसंबर 2004 । रविवार का दिन था। लोग छुट्टी के मूड में थे, लेकिन उन्हें क्या पता था कि अगले कुछ घंटों में क्या होने वाला है। सुबह करीब 7:28 बजे इंडोनेशिया के सुमात्रा से 160 किलोमीटर दूर समुद्र की सतह से 30 किलोमीटर की गहराई में 9.
1 तीव्रता का भूकंप आया। हिंद महासागर में आई थी सुनामी ये दुनिया के इतिहास का दूसरा सबसे खतरनाक भूकंप था। इसके पहले 1960 में चिली में 9.5 तीव्रता का भूकंप आया था, जो अब तक की सबसे अधिक तीव्रता है। इस भूकंप ने हिंद महासागर में सुनामी को जन्म दे दिया। समुद्र में ऊंची-ऊंची लहरें उठने लगीं। सुनामी ने इंडोनेशिया में भारी तबाही मचाई। ये बाद सुनामी थाईलैंड और श्रीलंका होते हुए भारत तक भी पहुंची। कुछ घंटों के भीतर ही इसने दुनिया के 14 देशों को अपनी जद में ले लिया। भारत में 10 हजार से ज्यादा मौतें मौत का आंकड़ा 2 लाख 30 हजार को पार कर गया। अकेले भारत में 10 हजार से ज्यादा मौतें हुईं। घर तबाह हो गए, बिल्डिंग क्षतिग्रस्त हो गईं, कई परिवार उजड़ गए। लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा। मैं यहां नहीं आ पाती। मेरे पैर इस बालू पर खड़े नहीं हो पाते। अगर जरूरत न होती, तो मैं यहां कभी नहीं आती। इस समुद्र ने मेरी बेटी को मुझसे छीन लिया। मैं इस समुद्र के पास नहीं जा सकती। - थाईलैंड की एक महिला भारत में तमिलनाडु सबसे अधिक प्रभावित हुआ। इस सुनामी 50 हजार से अधिक लोग लापता हो गए, जिनका आज तक कुछ पता नहीं चला। दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों में इस हादसे में जान गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए मेमोरियल बनाए गए हैं। उन 3 घंटों में क्या हुआ? सुबह 7:28 बजे समुद्र के भीतर
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