Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के छिंदवाड़ा गांव का पादरी वर्षों तक चर्च में सेवा करता रहा, उसे उसी गांव में दफन होने के लिए जगह नहीं मिली. बेटा पिता के शव को मोर्चरी में रख आया और पहुंच गया हाईकोर्ट. लेकिन जब हाईकोर्ट से भी उसे न्याय नहीं मिला तो उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. आइए सिलसिलेवार तरीके से इस घटना को जानते हैं....
बस्तरः छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के छिंदवाड़ा गांव में इंसानियत को तार-तार कर देने वाले मामले ने हर किसी को हैरान कर दिया. जिस गांव का पादरी सालों तक चर्च में सेवा करता रहा, उसे उसी गांव में दफन होने के लिए जगह नहीं मिली. बेटा पिता के शव को मोर्चरी में रख आया और पहुंच गया हाईकोर्ट. लेकिन जब हाईकोर्ट से भी उसे न्याय नहीं मिला तो उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां मामले की सुनवाई कर रहे दो जजों की पीठ की अलग-अलग राय सामने आई.
इससे तनाव बढ़ गया. रमेश ने पुलिस और स्थानीय अधिकारियों से सुरक्षा की गुहार लगाई, लेकिन हस्तक्षेप करने के बजाय पुलिस ने उनसे ही शव को कहीं और दफनाने को कहा. ग्राम पंचायत ने भी कोई मदद नहीं की. तीन सप्ताह तक अस्पताल में रखा रहा शव जब परिवार के पास कोई रास्ता नहीं बचा तो बघेल के शव को जगदलपुर के जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के शवगृह में रखने के लिए मजबूर होना पड़ा. तीन सप्ताह तक शव वहीं पड़ा रहा. परिवार ने ठान लिया था कि अंतिम संस्कार तो सम्मानजनक तौर पर ही किया जाएगा.
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