राधेश्याम हीरालाल पाटीदार पेशे से एक किसान है. उम्र लगभग 70 वर्ष है. साल 2011 से मालाएं बनाकर लोगों को नि:शुल्क बांट रहे है. मालाएं बनाने में लगने वाला खर्च वें स्वयं वहन करते है. अब तक करीब 45 हजार मालाएं बना चुके हैं.
आज के जमाने कोई चीज फ्री में नहीं मिलती. कुछ मंदिरो में भगवान के दर्शन और प्रसाद के लिए भी शुल्क देना पड़ता है. ऐसे में मध्य प्रदेश का एक शख्स तुलसी की माला एं बनाकर लोगों को फ्री में बांट रहा है. यह कहानी है बुजुर्ग राधेश्याम पाटीदार की, जो खरगोन जिले के चिंदडिया गांव में रहते है. विगत 13 वर्षों मालाएं बनाने के कार्य में जुटे है. राधेश्याम हीरालाल पाटीदार पेशे से एक किसान है. उम्र लगभग 70 वर्ष है. साल 2011 से मालाएं बनाकर लोगों को नि:शुल्क बांट रहे है.
श्रीमद भगवद्गीता में लिखा है कि भगवान कृष्ण को भी तुलसी अधिक प्रिय थी. तुलसी की माला धारण करने से यमराज की कुदृष्टि से भी बचा जा सकता है. तुलसी की माला पहनने से अकाल मृत्यु नहीं होती है. राधेश्याम दो बार नर्मदा परिक्रमा कर चुके है. घर पर ही रोजाना 7 घंटे मालाएं बनाने का कार्य करते है. एक दिन में 10 से 15 मालाएं बना लेते है. मालाएं बनाते हुए टीवी पर भजन, कीर्तन और प्रवचन सुनते रहते है. मालाएं बनाने के लिए तुलसी के सूखे पौधे लोगों के घरों से एकत्रित करते है.
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