1857 के गदर में जिले के क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को लोहे के चने चबवा दिए थे।सभी क्रांतिकारियों ने मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध किया। इस युद्ध मे क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए और जिले को आजाद करवा लिया था। हालांकि यह स्वतंत्रता महज 24 घंटे की ही रही। इसके बाद अंग्रेजों ने धोखे से आक्रमण कर जिले में फिर से कब्जा कर...
इरशाद सिद्दीकी, फतेहपुर: 1857 की क्रांति से लेकर भारत की स्वतंत्रता मिलने तक जिले के क्रांतिकारी कभी पीछे नहीं हटे। वीर सपूतों ने अंग्रेजों से डटकर मुकाबला किया था। 1857 के गदर की बात की जाए तो जिले के ठाकुर दरियाव सिंह, जोधा सिंह अटैया, ठाकुर शिवदयाल सिंह, हिकमतुल्ला खां सहित सैकड़ों क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा कर लोहे के चने चबवा दिए थे। क्रांतिकारियों के कौशल को देख कर छूट गए थे पसीने इन सभी जांबाज़ वीर सपूतों ने मिलकर अपने ग्रामीण हथियारों और युद्ध कौशल के दम पर ब्रिटिश हुकूमत...
आज़ादी महज 24 घंटे की ही रही। इसके बाद अंग्रेजों ने धोखे से आक्रमण कर जिले की कमान फिर से हथिया ली थी। अमर गाथाओं को याद करते हैं लोगजिले में लगी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की मूर्तियां हमेशा उनकी गौरव गाथा को याद दिलाती रहती हैं। शहीदों की यादों में उनकी अमर गाथाएं हमेशा लोगों के दिलों में जीवंत हैं। वहीं कुछ विशेष आयोजनों में समय-समय पर लोग पहुंचकर वीर योद्धाओं को नमन कर उनकी अमर गाथाओं को याद करते रहते हैं। जनपदवासियों को क्रान्तिकारियों पर नाज़ हैजिले के इन महान स्वतंत्रता सेनानियों ने 1857...
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