बात 15 वर्ष पहले की है। वर्ष 2009 में बांग्लादेशी सेना की एक टुकड़ी बीडीआर ने विद्रोह कर दिया था। बीडीआर के सैनिक अपने ही अफसरों को मारने लगे थे। तब शेख हसीना की जान भी खतरे में थी। हसीना ने भारत से मदद मांगी। भारत ने तुरंत सैन्य कार्रवाई की प्लानिंग कर ली...
नई दिल्ली: 26 फरवरी, 2009 की शाम। भारत के पैराशूट रेजिमेंट की छठी बटालियन के मेजर कमलदीप सिंह संधू को एक आपातकालीन कोड मिला। यह कोड वही था जो किसी भी आपात स्थिति में सेना की त्वरित तैनाती के लिए भेजा जाता है। इस बार, यह कोड बांग्लादेश के लिए था। बांग्लादेश में उस समय एक गंभीर संकट चल रहा था। देश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को अपनी ही सेना के एक हिस्से, बीडीआर के विद्रोह का सामना करना पड़ रहा था। बीडीआर के जवानों ने अपने ही अधिकारियों और उनके परिवारों पर हमला कर दिया था। हसीना की सरकार का...
था। भारत ने बांग्लादेशी सेना को बल प्रयोग रोकने की चेतावनी दी थी।बांग्लादेश को भारत ने दे दी थी खुली धमकीबांग्लादेश के तत्कालीन विदेश सचिव तौहीद हुसैन के मुताबिक, बांग्लादेश को साफ बता दिया गया था कि अगर सेना बल प्रयोग करेगी तो भारतीय पैराशूट सैनिक एक घंटे के भीतर ढाका में उतर जाएंगे। भारत ने सिर्फ चेतावनी नहीं दी थी बल्कि इसे अमल में लाने के लिए पूरी तरह तैयार था। लेकिन, आखिरकार भारत ने हस्तक्षेप नहीं किया। हुसैन ने कहा, 'मुझे बताया गया कि बांग्लादेशी सैन्य प्रमुख से साफ-साफ कह दिया गया है...
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