उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग में 55 साल की आयु पूरी करने पर संविदा कर्मचारियों का सेवा से बाहर होना तय है। लेकिन 50 फीसदी संविदा कर्मचारियों को पेंशन प्राप्त करने का भविष्य अनिश्चित है।
उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग में संविदा कर्मचारियों की समस्या गंभीर हो रही है। 55 साल की आयु पूरी करने पर उनका सेवा से बाहर होना तय है। लेकिन ये 55 साल के संविदा कर्मचारी न केवल सेवा से बाहर होने वाले हैं, बल्कि उनमें से 50% तो ईपीएफ खाते से पेंशन भी नहीं पाएंगे। यह स्थिति वर्ष 2000 से बिजली विभाग में संविदा कर्मियों के नियुक्त करने का सिलसिला शुरु हुआ। 18 साल तक नौकरी करने वालों के वेतन से कोई भी ईपीएफ नहीं काटा गया। वर्ष 2019 से ईपीएफ जमा होने का सिलसिला शुरु हुआ। जिन कर्मियों का 48 साल की
उम्र पर ईपीएफ कटना शुरु हुआ वो पेंशन नहीं पाएंगे। दरअसल, उनका 10 साल ईपीएफ जमा नहीं हो सका। लखनऊ के बिजलीघरों पर 55 साल से ज्यादा उम्र के ऐसे 150 विभागीय नियमित कर्मचारी हैं, जो अपने पद के अनुरूप काम किए बिना ही वेतन ले रहे हैं। इनमें पेट्रोलमैन, लाइनमैन आदि हैं। यह लाइनमैन सीढ़ी पर चढ़ नहीं पाते तो संविदा कर्मी उपभोक्ता की शिकायतों का निराकरण करते हैं। संरक्षण में ऐसे पेट्रोलमैन एवं लाइनमैन दूसरे कार्य कनेक्शन की जांच आदि करके नौकरी चला रहे हैं। जबकि ऐसे कर्मी 60 से 70 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन लेते हैं। जबकि संविदा कर्मी 10 से 11 हजार रुपये में अपनी जान खतरे में डालते हुए काम करते हैं। उत्तर प्रदेश पॉवर कॉरपोरेशन निविदा/संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश महासचिव देवेंद्र कुमार पांडेय ने 55 साल के संविदा कर्मियों को लेकर निगम के एमडी भवानी सिंह से अपील की है। कहा है कि जो संविदा कर्मी 55 साल के हो चुके उनसे लाइन का काम लेने के बजाय दूसरी जिम्मेदारी सौंप दी जाए। यह कर्मी प्रतिमाह बिल वसूलने का काम कर सकते हैं। 25-25 साल संविदा नौकरी करने के बाद वो भी सेवा से बाहर हो गए जिनका महज पांच से छह साल का ही ईपीएफ कटा है
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