छठे चरण में बिहार की 8 सीटों पर 25 मई को वोटिंग होनी है। इनमें वाल्मीकि नगर, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सीवान, वैशाली, शिवहर और महाराजगंज शामिल हैं। इसमें 7 जनरल जबकि एक गोपालगंज सुरक्षित सीट है। पूर्वी चंपारण सीट से राधामोहन सिंह सातवींBihar Lok Sabha Election BJP Seats Prediction 2024 Analysis.
हिना शहाब से सीवान का बदला समीकरण; प.चंपारण में सांसद से नाराजगी का कांग्रेस को फायदाछठे चरण में बिहार की 8 सीटों पर 25 मई को वोटिंग होनी है। इनमें वाल्मीकि नगर, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सीवान, वैशाली, शिवहर और महाराजगंज शामिल हैं। इसमें 7 जनरल जबकि एक गोपालगंज सुरक्षित सीट है।
8 सीटों में 5 पूर्वी चंपारण, वैशाली, महाराजगंज, वाल्मीकि नगर और गोपालगंज में एनडीए का पलड़ा भारी लग रहा है। वहीं 3 सीट शिवहर, सीवान और पश्चिम पंचारण में कांटे की टक्कर नजर आ रही है। दोनों कैंडिडेट्स के लिए अलग-अलग चुनौती है। भाजपा कैंडिडेट एंटी-इनकंबेंसी के शिकार हो रहे हैं, वहीं कांग्रेस के कैंडिडेट के बाहरी होने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
वोटरों की चुप्पी दोनों कैंडिडेट्स की धड़कन बढ़ाने वाली है। कैंडिडेट्स अपने कोर वोटर्स को साधने के लिए हर तरह से प्रयास कर रहे हैं।महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र में इस बार मोदी के चेहरे के साथ ही विकास पर बात हो रही है। जर्नलिस्ट मनीष कुमार कहते हैं, इस बार वोटर्स का अलग-अलग मिजाज भ्रमित कर रहा है। पिछली बार की तरह हवा नहीं दिख रही है। इस बार मोदी के चेहरे के साथ विकास पर भी बात हो रही है। इस बार वोटरों में अजीब नेचर देखने को मिल रहा...
एक्सपर्ट मानते हैं कि इस बार नए जातीय समीकरण से ही चुनाव टफ हो गया है। अगर कांग्रेस ने जातीय समीकरण के आधार पर कैंडिडेट नहीं दिया होता ताे एनडीए के लिए जीत काफी आसान हो जाती।चुनावी एक्सपर्ट मनीष कुमार बताते हैं, इस बार महागठबंधन से कांग्रेस के आकाश कुमार सिंह चुनाव मैदान में हैं, जबकि निवर्तमान सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल एनडीए से भाजपा कैंडिडेट हैं। जहां तक जातीय समीकरण की बात है तो यहां फॉरवर्ड क्लास दोनों कैंडिडेट्स के खेमे में बंटा हुआ...
जनता को उम्मीदें थीं कि वो इस पूरे क्षेत्र का विकास करेंगे। मगर, ऐसा हुआ नहीं। गोपालगंज की जनता अपने सांसद से नाराज दिखती है। आरोप है कि वो क्षेत्र में एक्टिव ही नहीं रहे। बाढ़ की समस्या से निजात दिलाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। क्षेत्र के लोग और एक्सपर्ट स्पष्ट तौर पर कह रहे हैं कि विपक्ष ने गोपालगंज के मैदान में एक कमजोर उम्मीदवार को उतारा है। इन्हें आम लोग सही तरीके से जानते भी नहीं है। अब इसका फायदा सीधे तौर पर जदयू के उम्मीदवार को मिल सकता है। हालांकि, विकास के स्थानीय मुद्दे यहां भी गायब हैं।
वो एक मिलनसार और सभी वर्ग के लोगों के बीच रहने वाले व्यक्ति हैं। हर तबके के लोगों से उनका सामाजिक सरोकार रहा है। इसलिए हवा का रुख इनके ओर ही है। कुशवाहा के साथ ही मल्लाह का कार्ड है। यहां से कई बार केन्द्र में मंत्री रहे, छह बार सांसद रहे और 10वीं बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे बीजेपी के धाकड़ नेता के आगे महागठबंधन ने युवा नेता और पूर्व विधायक राजेश कुशवाहा को उतारा है। वे मुकेश सहनी की वाआईपी से उम्मीदवार हैं।
यहां राधामोहन सिंह ने नरेन्द्र मोदी के पीएम बनने के बाद काफी विकास का काम करवाया है। मोतिहारी रेलवे स्टेशन बापू धाम, चरखा पार्क, महात्मा गांधी सत्याग्रह स्मारक यहां दिखता है। यहां केन्द्रीय विश्वविद्यालय, कृषि अनुसंधान केन्द्र, मदर डेयरी आदि भी हैं। लेकिन न तो बंद पड़ी चीनी मिल खुली और न मेडिकल कॉलेज अब तक बना। लीची और आम यहां खूब है पर उससे जुड़े उद्योग नहीं। खेती करने वाले लोगों का पलायन साल में 8-9 महीने के लिए हो जाता...
महात्मा गांधी विश्वविद्याल बनवाया, बिजलीकरण करवाया। काफी काम उन्होंने करवाया पर उन्हें लोकसभा चुनाव में चैलेंज मिल रहा है। मुझे लगता है कि इसकी बड़ी वजह एंटी इनकंबेंसी है।वैशाली लोकसभा की सीट 1977 में अस्तित्व में आई थी। इस लोकसभा क्षेत्र में कुल 6 विधानसभा हैं। इसमें अकेले वैशाली के अलावा मीनापुर, कांटी, बरुराज, पारू और साहेबगंज विधानसभा क्षेत्र मुजफ्फरपुर जिले के हैं। वैशाली लोकसभा क्षेत्र में शुरुआत से ही जातिवाद हावी रही...
कारण है कि उन्होंने कोई काम इस क्षेत्र के विकास के लिए नहीं किया। साथ ही जनता से दूरी बनाकर रखी। बावजूद इसके 2024 के इस चुनाव में राजपूत जाति से आने वाली वीणा देवी को लोजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है। वो सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी को जानते हैं। उनके ही चेहरे को देख कर वो अपना वोट डालेंगे। इस कारण वैशाली में हवा का रुख NDA उम्मीदवार की ओर है।सीनियर जर्नलिस्ट और पॉलिटिकल एक्सपर्ट रविंद्र कुमार सिंह के अनुसार वैशाली की लड़ाई बहुत टफ हो गई है। वोट के हिसाब से महागठबंधन के उम्मीदवार भारी लग रहे हैं। धनबल के कारण वो हावी हैं। यहां स्थानीय मुद्दा गायब है। एक तरफ नरेंद्र मोदी और दूसरी तरफ लालू प्रसाद पर दांव लगा हुआ...
अबकी बार फिर से मोदी सरकार और 400 पार का नारा पूरा होगा। हम वैशाली की सीट जीतने जा रहे हैं। इसमें कोई शक नहीं है।अरविंद कुमार कांग्रेस के जिलाध्यक्ष हैं। इनका दावा है कि वैशाली से इंडिया गठबंधन व राजद के उम्मीदवार मुन्ना शुक्ला के जीत होगी। जिस तरह से तेजस्वी यादव की सभा में लोगों की भीड़ उमड़ रही है, वो पैसों पर लाई गई भीड़ नहीं है। ऐसा में पूरी उम्मीद है कि लोगों का समर्थन हमारे गठबंधन के उम्मीदवार को मिल रहा है।2019 में हुए लोकसभा चुनाव में लोजपा की वीणा देवी ने वैशाली सीट से 5 बार के सांसद रहे...
शिवहर लोकसभा में उद्योग नहीं हैं, नतीजा पलायन खूब है। बागमती और ललबकिया नदी पर पुल चाहिए इसका आंदोलन लंबे समय से चल रहा, लेकिन लोग मजबूर होकर नदी होकर जा-आ रहे। शिवहर में आनंद मोहन पूरी ताकत लगा रहे हैं। चर्चित बयान दे रहे हैं। वे अपन बयानों में फंसते भी दिख रहे हैं। उनके बयान ही लवली आनंद के लिए राजनीतिक-काल नहीं बन जाएं इसकी आशंका है। बाहुबली वाली छवि बयानों में भी दिख रही है।
रितु जायसवाल पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रही हैं। पूरे बिहार की नजर इस सीट पर इसलिए लगी हुई है कि आनंद मोहन की प्रतिष्ठा यहां से दांव पर लगी है। यहां से अब तक जीते 10 सांसदों में से 7 राजपूत ही रहे हैं। वैश्य जाति से आने वाली रितु जायसवाल को आरजेडी ने उतारा है। उनकी ताकत तेजस्वी यादव की नौकरी देने की छवि के साथ ही कांग्रेस और लेफ्ट है।
हिना के फाइट में आने की वजह एनडीए से जेडीयू की कैंडिडेट विजय लक्ष्मी का रिएक्शन है। विजय लक्ष्मी के पति रमेश सिंह कुशवाहा जीरादेई से विधायक रहे हैं। उनकी छवि शुरू से ही माले के नेता के रूप में उभरकर सामने आती रही है। मोदी की रैली के बाद वोटर्स का रुख बदल सकता है। इसका फायदा एनडीए को पूरी तरह से मिल सकता है। इसलिए सीवान मोदी फैक्टर से अछूता नहीं है। यहां भी कैंडिडेट्स के बजाय मोदी के चेहरे पर वोट पोल हो सकता है। अगर फाइट की बात करें तो अब तक के जो हालात हैं, मोदी का मैजिक बहुत कुछ बदल सकता है।नेशनल मीडिया में लंबे समय तक काम करने वाले और चंदौली के सबिता पब्लिक स्कूल के डायरेक्टर प्रताप शेखर सिंह कहते हैं, त्रिकोणीय मुकाबला में वोटों का अंतर कम ही दिख रहा है। एक तरफ जहां एनडीए से जेडीयू की विजय लक्ष्मी...
ऐसे ही हिना शहाब के खाते में भी उनके समुदाय से अवाला अन्य वर्गों का भी अधिक संख्या में समर्थन देखा जा रहा है। बात टक्कर देने की करें तो त्रिकोणीय मुकाबला में भी ऐसे हालात बन रहे हैं, जिसमें एनडीए के कैंडिडेट और हिना शहाब के बीच कड़ा मुकाबला हो सकता है। वोटिंग के दिन सीवान का समीकरण बदल सकता है, जिसके बाद कुछ नए गणित सेट हाे सकते हैं।जर्नलिस्ट प्रताप शेखर सिंह बताते हैं, सीवान लोकसभा क्षेत्र में सीवान, बड़हरिया, दरौंदा, जीरादेई, रघुनाथपुर और दरौली विधानसभा सीट शामिल हैं। जिले में करीब 24 लाख से...
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