राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS 99 साल का हो गया। 1925 में विजयादशी के दिन पांच स्वंयसेवकों के साथ डॉ.
मुस्लिमों का साथ देने पर गांधी से असहमत थे हेडगेवार, मालाबार दंगे के बाद कांग्रेस छोड़ शुरू किया संघ बलराम कृष्ण हेडगेवार ने इसकी शुरुआत की थी। आज संघ के लाखों स्वयंसेवक हैं। संघ के मुताबिक ब्रिटेन, अमेरिका, फिनलैंड, मॉरीशस समेत 39 देशों में उसकी27 सितंबर 1925 को हेडगेवार के इसी घर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नींव रखी गई थी। यह घर नागपुर के महल इलाके में हैं। तस्वीर 8 साल पुरानी है। फोटो क्रेडिट- सुरेश...
चार साल पहले साउथ अफ्रीका से लौटे महात्मा गांधी अंग्रेजों के खिलाफ एक बड़े आंदोलन की तैयारी में जुटे थे। खिलाफत आंदोलन को उन्होंने एक मौके के रूप में देखा कि इसके जरिए हिंदुओं और मुसलमानों को एक मंच पर लाया जा सकता है।31 जुलाई 1920 का अखबार, जिसमें हिंदुओं से खिलाफत आंदोलन में भाग लेने की अपील का जिक्र है। सोर्स : Alamy
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने इस दंगे का जिक्र करते हुए अपनी किताब 'थॉट्स ऑन पाकिस्तान' में लिखा- ‘इस विद्रोह का मकसद ब्रिटिश हुकूमत को खत्म कर इस्लाम राज की स्थापना करना था। तब जबरन धर्म परिवर्तन कराए गए, मंदिर ढहाए गए, महिलाओं के साथ बलात्कार हुए।’अंबेडकर ने खिलाफत आंदोलन पर सवाल उठाते हुए लिखा- ‘यही गांधी की हिंदू-मुस्लिम एकता कायम करने की कोशिश है। क्या फल मिला इस कोशिश का?’
उन दिनों नागपुर सेंट्रल प्रोविंस की राजधानी हुआ करता था। अंग्रेजों ने भारत के दूसरे हिस्सों को नापने के लिए नागपुर को जीरो माइल पॉइंट बनाया था। आज भी जीरो माइल पर एक स्तंभ और चार घोड़ों की प्रतिमाएं हैं। इसी साल RSS ने राम नवमी के दिन एक बड़ा कार्यक्रम किया। संघ के स्वयंसेवक खाकी शर्ट, खाकी पैंट, खाकी कैप और बूट में नजर आए। ये संघ की शुरुआती यूनिफॉर्म थी।
हेडगेवार इस आंदोलन में शामिल हुए और जेल भी गए। करीब 9 महीने वे जेल में रहे। तब एलवी परांजपे को सरसंघचालक की जिम्मेदारी दी गई थी। छुट्टियों में जब वे युवा नागपुर आते थे, तो हेडगेवार उनसे शाखा के बारे में फीडबैक लेते थे। महाराष्ट्र से बाहर संघ की पहली शाखा 1930 में वाराणसी में लगी। दूसरे संघ प्रमुख रहे गोलवलकर वाराणसी की इसी शाखा से संघ से जुड़े।
1904-05 की बात है। एक दिन मुंजे की नजर हेडगेवार पर पड़ी। दोनों के बीच बातचीत हुई और फिर वे नियमित रूप से मिलने लगे। दिनों भारत पर ब्रिटिश हुकूमत का राज था और देश में बंगाल विभाजन की गूंज थी। सीनियर जर्नलिस्ट विजय त्रिवेदी अपनी किताब ‘संघम् शरण् गच्छामि’ में लिखते हैं- ‘मुंजे अपने घर बुलाकर हेडगेवार को बम बनाने की ट्रेनिंग देते थे।’
1915 में डॉक्टरी पढ़कर कलकत्ता से लौटे हेडगेवार ने नौकरी करने की बजाय नागपुर में एक व्यायामशाला खोली। यहां वे युवाओं को व्यायाम के साथ-साथ उनके बीच ज्वलंत मुद्दों पर डिबेट कॉम्पिटिशन कराते थे। RSS हेडक्वार्टर के नजदीक आज भी वो व्यायामशाला है।
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