देवउठनी एकादशी व्रत को बेहद शुभ माना गया है। इस व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल यह व्रत 12 नवंबर को रखा जाएगा। ऐसी मान्यता है कि इस तिथि पर नारायण की आराधना करने से सभी मुश्किलों का अंत होता है। वहीं यह दिन Dev Uthani Ekadashi 2024 शुभ कार्यों की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता...
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। देवउठनी एकादशी को बहुत ही शुभ माना जाता है। इसे प्रबोधिनी एकादशी, देवउत्थान एकादशी आदि नामों से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है। इस साल यह एकादशी 12 नवंबर को मनाई जाएगी। इसी पवित्र दिन चार महीने की लंबी नींद के बाद भगवान विष्णु जागते हैं और पूरे जगत का संचालन फिर से करते हैं। यह भक्ति, उपवास और अनुष्ठानों से भरा दिन है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन लोग ज्यादा से ज्यादा पूजा-अर्चना और दान-पुण्य करते हैं, तो आइए जानते हैं कि आखिर किस वजह से श्री हरि 4 माह...
रहने लगे। यह देख धन की देवी माता लक्ष्मी ने राजा बलि को भाई मानकर राखी बांधी और उन्हें इस विषम परिस्थिति से मुक्त करने को कहा। भगवान विष्णु ने निकाला हल तब समस्या का हल भगवान विष्णु ने निकालते हुए कहा कि 'वे 4 माह तक यानी हरिशयन एकादशी से लेकर कार्तिक एकादशी तक में पाताल लोक में ही रहेंगे, जिससे उनका वचन भी पूर्ण होगा और जगत का संचालन भी सही ढंग से होता रहेगा।' भगवान शिव करते हैं सृष्टि का संचालन भगवान विष्णु के योग निद्रा में जाने के बाद सृष्टि का संचालन 4 महीनों तक भगवान शिव करते हैं।...
Lord Vishnu Yogic Sleep Dev Uthani Ekadashi Interesting Story Dev Uthani Ekadashi Dev Uthani Ekadashi Shubh Muhurat Dev Uthani Ekadashi Bhog Recipe Dev Uthani Ekadashi Significance Dev Uthani Ekadashi Importance Dev Uthani Ekadashi Niyam Dev Uthani Ekadashi Prasad Probodhini Ekadashi
इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें
Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।
Dev Uthani Ekadashi 2024: चार महीने बाद योग निद्रा से जाग रहे हैं श्री हरि, जानिए देवों को जगाने की विधिदेवउठनी एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन को एक अबूज मुहूर्त भी माना जाता है क्योंकि इस तिथि पर बिना शुभ मुहूर्त देखे विवाह जैसे शुभ कार्य किए जा सकते हैं। इसके एक दिन बाद यानी द्वादशी तिथि पर तुलसी और शालिग्राम विवाह किया जाता है। तो चलिए जानते हैं देवउठनी एकादशी पर प्रभु श्री हरि को जगाने की...
और पढो »
दीपावली के बाद कब है देवउठनी एकादशी? जानें इस दिन क्यों बजाया जाता है थाली या सूप, जानें महत्वDev Uthani Ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी का व्रत हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. सनातन धर्म में इस दिन का विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा से जगते हैं. इसके पहले वो आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को शयन निद्रा में चले जाते हैं,जिसे देव शयनी एकादशी कहते हैं.
और पढो »
Dev Uthani Ekadashi: 11 या 12 किस दिन रखा जाएगा देवउठनी एकादशी का व्रत? नोट करें सही डेट और शुभ मुहूर्तदेवउठनी एकादशी Ekadashi 2024 का व्रत हिंदुओं में बेहद शुभ माना जाता है। इस व्रत को रखने से धन और वैभव में वृद्धि होती है। मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से सभी पाप धुल जाते हैं। साथ ही श्री हरि विष्णु का आशीर्वाद मिलता है तो चलिए इस दिन की सही डेट Dev Uthani Date और पूजा विधि जानते...
और पढो »
Dev Uthani Ekadashi 2024: 3 शुभ योग में मनाई जाएगी देवउठनी एकादशी, प्राप्त होगा अक्षय फलसनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। यह पर्व लक्ष्मी नारायण जी को समर्पित होता है। इस दिन साधक भक्ति भाव से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करते हैं। इसके साथ ही एकादशी का व्रत रखते हैं। धार्मिक मत है कि देवउठनी एकादशी Dev Uthani Ekadashi 2024 तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होती...
और पढो »
Dev Uthani Ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी पर करें श्री हरि स्तोत्र का पाठ, भौतिक सुखों में होगी वृद्धिहर माह कृष्ण और शुक्ल पक्ष में एकादशी तिथि का व्रत रखने का विधान है। इस बार यह व्रत 12 नवंबर को रखा जाएगा। ऐसा माना जाता है कि इस दिन श्री हरि विष्णु की आराधना करने से सभी दुखों का अंत होता है। वहीं इस दिन Dev Uthani Ekadashi 2024 श्री हरि स्तोत्र का पाठ करना भी बेहद शुभ माना जाता...
और पढो »
Dev Uthani Ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी कब है, जानें किन राशियों पर बरसेगा धनDev Uthani Ekadashi 2024: चातुर्मास के 120 दिन बाद देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु गहरी निद्रा से उठते हैं. माना जाता है कि जग के पालनहार जब तक इस योग निद्रा में रहते हैं तब तक इस संसार में कोई भी मंगल कार्य नहीं किया जा सकता.
और पढो »