Diwali Puja Vidhi: दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है. यह अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है. हर साल इस दिन देवी लक्ष्मी, धन के देवी, और भगवान राम की पूजा की जाती है. | धर्म-कर्म
Diwali Puja Vidhi : भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में दिवाली के त्योहार का लोगों के बेसब्री से इंतजार रहता है. इस साल दिवाली कब है, लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त क्या है और दिवाली की सही पूजा विधि क्या है आइए जानते हैं. दिवाली , जिसे दीपावली भी कहा जाता है भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है. यह अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है. हर साल इस दिन देवी लक्ष्मी, धन के देवी, और भगवान राम की पूजा की जाती है. दिवाली से पहले लोग घर की सफाई और सजावट करते है.
पंचामृत दूध, दही, घी, शहद, और चीनी का मिश्रण. इसके अलावा तिलक के लिए कुमकुम और चावल. ये सारी सामग्री आप दीवाली की पूजा से पहले अपने पूजा स्थान पर लाकर रख दें.दिवाली के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. स्नान के बाद, स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए. यह शुद्धता का प्रतीक है. फिर, एक स्थान पर बैठकर मन में देवी लक्ष्मी और भगवान राम का स्मरण करते हुए ध्यान लगाना चाहिए. अब पूजा स्थान को तैयार किया जाता है.
शुभ मुहूर्त में गणेश जी की पूजा सबसे पहले की जाती है क्योंकि वे विघ्नहर्ता हैं. अब दीपक जलाने का समय है. मिट्टी के दीपक में घी या तेल भरकर उनमें बत्ती लगाई जाती है. दीप जलाते समय एक विशेष मंत्र का जाप करना चाहिए. दीप जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. अब आप देवी लक्ष्मी और गणेश जी के सामने बैठकर उनके मंत्रों का जाप किया जाता है. आप चाहें तो एक-एक माला इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं.इसके बाद मन में संकल्प लें कि आप इस पूजा से क्या चाहते हैं.
नैवेद्य अर्पित करने के बाद, आरती का समय आता है. एक थाल में दीपक लेकर उसे देवी लक्ष्मी और गणेश जी के सामने घुमाते हुए आरती गाई जाती है. आरती के बाद सभी भक्त मिलकर जय लक्ष्मी माता और जय गणेश के जयकारे लगाते हैं.आरती के बाद पूजा का प्रसाद सभी उपस्थित लोगों को बांट दिया जाता है. यह प्रसाद एक तरह से देवी लक्ष्मी और गणेश जी का आशीर्वाद होता है. सभी इसे खुशी-खुशी ग्रहण करते हैं.
दिवाली के दिन रात में भी पूजा का महत्व होता है. सूर्यास्त के बाद, एक बार फिर से दीप जलाए जाते हैं. इस समय, घर के चारों ओर और आंगन में दीप जलाकर रखें. यह अंधकार को दूर करने और घर में सुख-शांति लाने का प्रतीक है. पूजा के बाद, परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर मिठाइयों का आनंद लेते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं. इस दिन, आतिशबाजी का भी आनंद लिया जाता है. बच्चे और बड़े सभी मिलकर पटाखे फोड़ते हैं और इस उत्सव का जश्न मनाते हैं.
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