Inspiring Story: बचपन से था पोलियो-लोग मारते थे ताने...पर लक्ष्मी डरी नहीं, दिन-रात एक कर बन गईं प्रिंसिपल

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Inspiring Story: जब कोई कुछ करने की ठान ले, तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है. लक्ष्मी देवी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. सारे संघर्षों को पार कर वो प्रिंसिपल बनीं.

सहारनपुर: लक्ष्मी देवी को बचपन से ही पोलियो था. वो 60% विकलांग हैं. बचपन से विकलांगता के कारण शरीर के कुछ अंगों ने काम करना बंद कर दिया था. साथ ही 7 साल की उम्र में पिता की मृत्यु हो जाने के बाद उनकी जिंदगी मुश्किल हुई. लेकिन अगर मन में कुछ कर गुजरने की चाह हो तो व्यक्ति बिना पैरों के भी दौड़ सकता है. ऐसा ही कुछ लक्ष्मी ने कर दिखाया है. लक्ष्मी देवी ने शिक्षा को अपना हथियार बनाया और शिक्षा के क्षेत्र में एक अच्छा मुकाम हासिल कर आज प्रिंसिपल के पद पर तैनात है.

लेकिन उनके चाचा राजपाल सिंह ने उनकी लाइफ में पिता का रोल निभाते हुए वह सब कुछ उन्होंने किया जो एक पिता करता है. लक्ष्मी देवी ने 12th दिसंबर जैन इंटर कॉलेज, B.A, M.A जे.वी जैन डिग्री कॉलेज सहारनपुर, बीटीसी कांधला मुजफ्फरनगर से की है. वो बताती हैं कि उन्होंने 1995 में विशाखापट्टनम में हुए ऑपरेशन के बाद पहली बार पैर में चप्पल पहनी थी. 1997 में वह सरकारी टीचर बनी और अब वह सहारनपुर के मनोहरपुर प्राथमिक विद्यालय में प्रिंसिपल के पद पर कार्य कर रही हैं.

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