जीवित्पुत्रिका व्रत पुत्र की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। यह व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन माताएं निर्जला उपवास रखती हैं और अगले दिन सुबह में व्रत तोड़ती हैं। इस व्रत का महत्व इस बात में है कि यह माताओं को अपने पुत्रों के प्रति प्रेम व समर्पण दर्शाने का अवसर देता...
संवाद सूत्र, बगहा। जीवित्पुत्रिका व्रत पुत्र की लंबी आयु के लिए भारत व नेपाल में मनाया जाता है। इस व्रत के दिन माताएं निर्जला उपवास रहती हैं। आचार्य भरत उपाध्याय ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत युद्ध के दौरान जब द्रोणाचार्य की मृत्यु हुई तो इसका बदला लेने के लिए उनके पुत्र अश्वत्थामा ने क्रोध में आकर ब्रह्मास्त्र चला दिया। जिसकी वजह से अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत हो गई। तब भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा की संतान को पुनः जीवित कर दिया। उसी बच्चे का नाम...
खैर नहीं है। कब मनाया जाता है जीवित्पुत्रिका व्रत जीवित्पुत्रिका व्रत एक पवित्र व महत्वपूर्ण व्रत है जो माताएं अपने पुत्रों की दीर्घायु व सुख-समृद्धि के लिए बिना अन्न जल के रखती हैं। यह व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। जो आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में पड़ता है। इस दिन माताएं अपने पुत्रों की लंबी उम्र व सुखी जीवन के लिए प्रार्थना करती है और व्रत रखती है। इस दिन माताएं पूरे दिन उपवास रहती हैं और अगले दिन सुबह में व्रत तोड़ती हैं। जीवित्पुत्रिका व्रत का महत्व...
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