Jaipur News: यूं तो देश में लाखों मंदिर हैं. जिनकी गिनती मुश्किल है. लेकिन जयपुर में एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान विष्णु के भावी दसवें अवतार भगवान कल्कि का मंदिर है.
यूं तो देश में लाखों मंदिर हैं. जिनकी गिनती मुश्किल है. लेकिन जयपुर में एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान विष्णु के भावी दसवें अवतार भगवान कल्कि का मंदिर है.Udaipur News राजस्थान ी मिठाई की वो दुकान, जो साल में खुलती है एक बार, बिक जाता सारा सामानयूं तो देश में लाखों मंदिर हैं. जिनकी गिनती मुश्किल है. लेकिन जयपुर में एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान विष्णु के भावी दसवें अवतार भगवान कल्कि का मंदिर है. आज सबसे बड़ी विडंबना है कि बहुत लोग इस मंदिर की हकीकत से अछूते हैं. सवाई जयसिंह ने जयपुर बसाने के बाद 1739 ई.
यहां भगवान कल्किजी मां लक्ष्मीजी के साथ कल्कि विराजमान हैं. यह अवतार हजारों वर्षों के बाद होगा. लेकिन हिंदू धर्म में उनकी परिकल्पना पहले ही कर ली गई थी. जानकारों का कहना है कि सनातन धर्म ही एक ऐसा धर्म है जिसमें भावी ईश्वर के अवतार को भी साकार कल्पना दे दी गई है. पुराणों में वर्णन है कि कलयुग समाप्त होने के बाद भगवान विष्णु कल्कि अवतार लेंगे. वे घोड़े पर सवार होकर तलवार से शत्रुओं का नाश करेंगे.
भविष्य के उस वर्णन को वर्तमान में उतारकर राजा सवाई जय सिंह ने इसकी पूजा भी शुरू करवा दी थी. वे स्वयं आरती करने जाते थे. साल में एक बार भावी ईश्वर कल्कि की सवारी भी निकाली जाती थी. कल्कि के वाहन घोड़े के एक पैर में घाव है. माना जाता है कि जैसे ही कलयुग समाप्त होगा ये घाव अपने आप भर जाएगा. इसे लगभग 300 साल पुराना बताया जाता है. कल्कि मंदिर भगवान विष्णु के 10वें अवतार को समर्पित कर बनाया गया था.
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