अगर कोई राजनीतिक दल अपने कामकाज और सैद्धांतिक प्रभाव से मतदाता का विश्वास अर्जित नहीं कर पाता, तो उसे जीत का कोई नैतिक अधिकार नहीं रह जाता।
आम चुनाव के पहले चरण का मतदान संपन्न हो गया। ज्यादातर इलाकों में तेज गर्मी के बावजूद लोगों में मतदान को लेकर उत्साह देखा गया। हालांकि कुछ जगहों पर हिंसक घटनाओं ने जरूर लोकतंत्र के इस उत्सव को बदरंग करने की कोशिश की, पर अच्छी बात है कि उनसे मतदाताओं और मतदान की प्रक्रिया पर बहुत नकारात्मक असर नहीं देखा गया। मणिपुर लंबे समय से जातीय हिंसा की चपेट में है और वहां पहले से चुनाव के विरोध का स्वर उभर रहा था। इसलिए अगर कुछ मतदान केंद्रों पर उपद्रव की घटनाएं हुईं, तो इसकी वजहें समझी जा सकती हैं। वहां...
शुरुआत कूचबिहार में देखी गई। वहां भाजपा के प्रत्याशी ने आरोप लगाया कि राज्य के सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ता लोगों को धमकाने और मतदान से रोकने का प्रयास करते रहे। यही आरोप तृणमूल कांग्रेस ने भी भाजपा कार्यकर्ताओं पर लगाए। उपद्रवियों की धर-पकड़ और हिंसा पर काबू पाने के क्रम में की गई तलाशी में कई बम भी बरामद किए गए। जाहिर है, हिंसा की तैयारियां वहां पहले से की गई थीं। पश्चिम बंगाल के हर चुनाव में निर्वाचन आयोग अतिरिक्त रूप से सतर्क रहता है। इसलिए भी कूचबिहार में किसी बड़ी घटना की साजिशों को रोकने में...
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