हर साल 26 जुलाई को मनाया जाने वाला कारगिल विजय दिवस (Kargil Vjay Diwas) 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत की याद में मनाया जाता है. इस साल इसकी 25वीं वर्षगांठ है और इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लद्दाख के द्रास में कारगिल युद्ध स्मारक पर जाकर शहीद हुए वीरों को श्रद्धांजलि दी. देवभूमि उत्तराखंड वीरों की भूमि रही है.
साल 1999 के कारगिल युद्ध में केवल उत्तराखंड ने 74 जांबाज बेटे खोये थे. इनमें से एक थे उत्तराखंड के नैनीताल निवासी शहीद मेजर राजेश सिंह अधिकारी. युद्ध के दौरान राजेश ने अपनी भाभी करुणा अधिकारी से बातचीत करते हुए बताया था कि कारगिल की जंग के दौरान सबसे मुश्किल चुनौती थी टाइगर हिल पर कब्जा जमाए बैठे पाकिस्तानियों को खदेड़ना. पाकिस्तानी लगातार बमबारी कर रहे थे और गोलियां चला रहे थे. चोटी पर चढ़कर दुश्मन के ठिकानों को बर्बाद करना ही भारतीय सेना का पहला लक्ष्य था.
उनकी टीम को तोलोलिंग पर बैठे दुश्मनों को खदेड़ने का आदेश मिला था. कारगिल जीतने के लिए तोलोलिंग पर फतह बेहद जरूरी थी. पाकिस्तान कश्मीर वैली से लद्दाख को जोड़ने वाली रोड को बर्बाद करना चाहता था. मेजर राजेश अधिकारी अपनी टीम के साथ 16,000 फीट पर स्थित तोलोलिंग पर बैठे दुश्मनों के छक्के छुड़ाने निकल पड़े. तोलोलिंग पर कब्जा करना आसान नहीं था. दुश्मन ऊंचाई पर बैठे थे और वहां से लगातार गोलियां बरसा रहे थे.
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