Kartik Maas Nauva Katha Adhyay : कार्तिक मास व्रत कथा के नौवें अध्याय में भगवान विष्णु के पूजन की विधि बताई गई हैं। साथ ही इस अध्याय में तुलसी के महत्व के बारे में भी बताया गया है। आइए यहां पढ़ें कार्तिक व्रत कथा का नौंवा अध्याय विस्तार से...
राजा पृथु ने पूछा-हे ब्रह्मन् ! आपने कार्तिक-व्रत के विधान-वर्णन में तुलसी के मूल में विष्णु भगवान् के पूजन की विधि बताई है; अतः मैं तुलसी की महत्ता के विषय में पूछने की इच्छा करता हूं। तुलसी देवाधि देव विष्णु भगवान् को कैसे इतनी प्यारी हुई। हे नारद! यह कैसे और कहां उत्पन्न हुई ? आप सर्वज्ञ हैं, कृपाकर यह कथा संक्षेप में कहिए। नारदजी ने कहा-हे राजन् ! आप सावधान होकर तुलसी जी की महत्ता तथा जन्म का प्राचीन इतिहास सुनिए, मैं कहता हूं। प्राचीन काल में सब देवगणों तथा रम्भादिक अप्सराओ से सेवित...
राख हो गयी और रुद्र भगवान् अपने तेज से इन्द्र को जलाने लगे। यह काण्ड देखकर बृहस्पति ने शीघ्र हाथ जोड़कर तथा इन्द्र ने पृथ्वी पर दण्डवत् नम्रीभूत होकर स्तवन करना आरम्भ किया। बृहस्पति ने कहा-हे देवों के अधिपति ! त्र्यम्बक, कपर्दी, त्रिपुरारी, शर्व और अन्धकासुर वध करने वाले शिवजी ! आपको मेरा नमस्कार है। अदृश्य रहनेवाले, अनेक आकृति धारण करनेवाले शम्भु, यज्ञविध्वंसक, यज्ञफल दाता, कालान्तक, काल, काले सर्प को धारण करने वाले, ब्रह्मा का शिरोच्छेदन करनेवाले, ब्राह्मण के हितकारी हे शिवजी ! आपको नमस्कार...
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